*इंसान भी बहुत अजीब है, अपने बच्चों को सब कुछ देना चाहता है,*
*और अपने माँ-बाप का सब कुछ लेना चाहता है।*
*"पत्थर में भगवान है,यह समझाने में धर्म सफल रहा,*
*पर इंसान में इंसान है,यह समझाने में,*
*धर्म आज भी असफल है...!!"*
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Nice sayari wow
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Hmm bhai yaha toh mene bhi mehsoos kiya hai
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