i spent my summer vacation enjoy Nani House Hindi m
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Essay on Summer vacation in Nani's house in hindi -
जानती हूं शीर्षक पढ़ते ही दिल बल्लियों उछलने लगेगा आपका और आप पहुंच जाएंगे अपने बचपन में।उन दिनों गर्मी की छुट्टियां और नानी का घर एक दूसरे का पूरक हुआ करते थे,क्योंकि आज की तरह Holiday destination तो हुआ नहीं करते थे और ना ही नानी का घर छोड़कर हमें कहीं और जाने की तमन्ना होती थी।क्योंकि साल भर के इंतजार के बाद नानी के घर जाने की खुशी बिल्कुल ऐसी होती थी जैसे रेगिस्तान में मीलों चलने के बाद पानी का मिलना।....मुझे आज भी अच्छी तरह याद है कि,कैसे परीक्षा शुरू होने के पहले ही नाना जी का टेलीफोन या चिट्ठी आ जाती थी पापा के नाम जिसमें बहुत प्यार से इसरार किया जाता था हमारी मम्मी और हम बच्चों को मायके (नानी के घर)भेजने के लिए।जिसे हमारे पापा थोड़ी झिझक के बाद मान लेते थे।और फिर शुरू होती थी नानी के घर जाने की तैयारी।लंबे इंतजार के बाद जब ट्रेन स्टेशन पर पहुंचती तो नज़रें नानाजी और मामाजी को ढूंढती।और जब वो दिखाई दे जाते तो जो खुशी महसूस होती वो बयां करना बहुत मुश्किल है।और जब टांगे में बैठकर नानी के घर (बिल्डिंग)के सामने पहुंचते तो वहां पहले से मौजूद बच्चे हाका (शोर) मारने लगते, ए...बुआ आ गई।और बिल्डिंग के सारे बच्चे और बड़े हमें मिलने नीचे आ जाते और कसकर गले लगा लेते।फ़िर शुरू होता मिलने मिलाने का दौर। मेरे ननिहाल को एक परिवार न कहकर कुनबा कहना ज्यादा सही होगा,क्योंकि वहां मेरे तीन नानाजी का संयुक्त परिवार है।कुल मिलाकर 40 से 50 लोगों का कुनबा एक ही बिल्डिंग में रहता था ।अब आप ये जान ही गए होंगे कि हम बच्चों को नानी के घर जाने की इतनी जल्दी क्यों रहती थी....।फिर शुरू होता हमारा धमाल... नानाजी के साथ हम सारे बच्चे सुबह पांच बजे से उठकर नीचे ग्राउंड फ्लोर मे बनी पानी के हौद(टंकी) से पीने का पानी बाल्टियों मे भरकर ऊपर पहुंचाते।इस काम में हम सब बच्चों मे बड़ा comptation होता कि कौन सबसे ज्यादा बाल्टी उठाता है।इसके बाद नानाजी हम सब बच्चों को दूर तक सैर करने ले जाते और रास्ते भर हमें ढेरों किस्से कहानियां सुनाते जाते।वापसी मे नानी जी और मामीजी के हाथ का गरमागरम परांठा और गिलास भरा दूध तैयार रहता जिसे हम बच्चे खट्टी मीठी कैरी के अचार के साथ हजम कर जाते।फ़िर हम बच्चे मिलकर सारी दोपहर खूब उधम मचाते.. कभी छुपा छुपी, कभी पकड़म पकड़ाई,कभी नदी पहाड़, कभी पिठ्ठूल ,कभी बिल्लस और कभी गुल्ली डंडा ..ना जाने कितने ही ऐसे खेल हम खेलते।और तब तक खेलते जब तक घर का कोई बड़ा हमें बुलाने नहीं आता। फ़िर शाम को शुरू होता घूमने फ़िरने और रिश्तेदारों से मिलने मिलाने का सिलसिला।नानीजी और मामीजी हमें लगभग रोज़ ही बाहर ले जाते,कभी खरीदारी करने,कभी किसी रिश्ते दार के घर,कभी मंदिर तो कभी सिनेमा देखने। कभी बगीचे में तो कभी कहीं और मज़े करते।घर पर भी लगभग रोज़ ही दावत होती... कभी छोटे मामाजी चटपटी तीखी भेल बनाते ,तो कभी मामीजी मज़ेदार वड़ापाव, कभी नानीजी के हाथ की लज़ीज़ पूरणपोली खाते, और कभी नानाजी का बनाया कांदा पोहा...। गली के नुक्कड़ पे बनी वो कुल्फी और लस्सी की दुकान हम कैसे भूल सकते हैं जहाँ बड़े मामाजी हमें रोज़ लेकर जाते थे।आज भी वो कुल्फी बहुत याद आती है।कुल्फी खाकर घर पहुंचते और देररात तक ताश के पत्तों की बाजी बिछती।जिसमें सभी बडे़ और बच्चे बराबर से भाग लेते।रम्मी, चीपों चीपों, चटाई, बजार बजार और भी ना जाने कितने से खेल खेलते ।.... और इस तरह एक महीने की गर्मी की छुट्टी कब बीत जाती पता ही नहीं चलता।और हम फिर से अगली गर्मी की छुट्टियों मे आने का वादा करके नाना नानी, मामा मामी,और अपने सारे भाई बहनों की आंखों में(और अपनी भी)खुशी और दुःख के मिलेजुले आंसू छोड़कर वापस अपने घर आ जाते। ये बातें बीस साल पुरानी हैं, लेकिन आज भी जब गर्मी की छुट्टियां लगतीं हैं, और मेरे बच्चे अपनी नानी के घर (मेरे मायके) जाने की ज़िद करते हैं तो मुझे भी बरबस ही अपनी नानी का घर याद आ जाता है,और मेरे चेहरे पे एक प्यारी सी मुस्कान आ जाती है।जैसे इस समय ये ब्लॉग पढ़ते समय आपके चेहरे पे आई है.......।है... ना...।
Hope it helps you! ☺️✌️
- गर्मी की छुट्टियां हर छात्र के जीवन में महत्वपूर्ण होती हैं।
- मैंने इस गर्मी की छुट्टी अपने नाना-नानी के साथ बिताने का फैसला किया।
- वे राजस्थान में जैसलमेर जिले के पास एक छोटे से कस्बे में रहते हैं।
- हमने ट्रेन नंबर 5 को दिल्ली से राजस्थान के लिए लिया।
- अगले दिन हम जैसलमेर गए।
- एक दिन मेरे नाना जी मुझे रेगिस्तान में ले गए।
- हम ऊँटों की सवारी करते थे और सारी रात चलते थे।
- फिर हम बाज़ार गए जहाँ मैंने खिलौने खरीदे।
- हम वहां राजस्थानी कपड़े भी खरीदते हैं।
- हमने साथ में मस्ती की।
- हम डांस भी करते हैं, साइकिल चलाते हैं और टीचर खेलते हैं।
- नानी ने मुझे भजन, श्लोक और सिलाई सिखाया |
#SPJ2