| (i) दिल्ली में प्रदूषण और इसका प्रभाव
• प्रस्तावना
• प्रदूषण के कारण
• प्रभाव
• निवारण
• उपसंहार
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Answer:
दिल्ली में प्रदूषण और उसका प्रभाव
प्रस्तावना — दिल्ली भारत बड़ा महानगर है ये भारत की राजधनी भी है। इसकी जनसंख्या सवा करोड़ के आसपास है। मुंबई के बाद इस महानगर की जनसंख्या सबसे ज्यादा है। देश के हर क्षेत्र से लोग-बाग रोजगार की तलाश में आकर दिल्ली में बस जाते हैं। इस कारण दिल्ली की जनसंख्या निरंतर बढ़ती ही जा रही है। इस कारण दिल्ली में अनेक महानगरीय समस्यायें उत्पन्न हो रहीं है। प्रदूषण उनमें से प्रमुख है।
प्रदूषण के कारण — दिल्ली में प्रदूषण के अनेक कारण है। बढ़ती जनसंख्या के कारण जनसंख्या घनत्व बढ़ता जा रहा है, इसके कारण दिल्ली में कंक्रीट के जंगलों की संख्या बढ़ती जा रही है और प्राकृतिक जंगल खत्म होते जा रहे हैं। इसके अलावा औद्योगिक इकाइयों ने भी प्रदूषण फैलाने में कोई कसर नहीं छोड़ी है। भारत के तीन प्रमुख महानगर मुंबई, चेन्नई और कोलकाता से भी ज्यादा कारें अकेली दिल्ली में हैं। इन वाहनों के जहरीले धुएं के कारण दिल्ली की हवा एकदम प्रदूषित हो चली है। इसका आलम यह हो गया कि दिल्ली सरकार को कई बार वाहनों के लिए ऑड-इवन पद्धति भी लागू करनी पड़ी। इसके अलावा जाड़े की ऋतु में आसपास के राज्यों हरियाणा, उत्तर प्रदेश, पंजाब आदि से चलाई जाने वाली फसलों की पराली के कारण भी दिल्ली की हवा जहरीली हो जाती है। इन सब कारणों से दिल्ली अत्यन्त प्रदूषित शहर बन गया है।
प्रभाव — दिल्ली प्रदूषण के दुष्प्रभाव हुए हैं और दिल्ली की हवा में सांस लेना मुश्किल हो गया है। लोग अस्थमा और सांस की बीमारियों के शिकार होते जा रहे हैं। दिल्ली में सांस से या फेफड़े से संबंधित बीमारी के मरीजों की संख्या निरंतर बढ़ती जा रही है।
निवारण — इसका सबसे अच्छा उचित निवारण जागरूकता है। प्रदूषण के प्रति जागरूकता फैलाई जाए और दिल्ली के वाहनों की संख्या नियंत्रित की जाए। लोगों को अधिक से अधिक सार्वजनिक यातायात के साधनों का उपयोग करने के लिए प्रेरित किया जाए। आसपास के राज्यों में फसलों को जलाने पर प्रतिबंध लगाया जाए और किसानों के लिये कोई वैकल्पिक विधि खोजी जाए जिससे किसान फसलें ना जलाएं। औद्योगिक इकाइयों द्वारा फैलाई जाने वाले और प्रदूषण आदि हेतु उनके लिए मानक तय किए जाएं। इन सब बातों से प्रदूषण पर काफी हद तक नियंत्रण पाया जा सकता है।
उपसंहार — जब प्रदूषण मुक्त वातावरण होगा और हम सब स्वच्छ साँस सकेंगे तभी हम स्वस्थ रह सकते हैं। हमारा स्वास्थय हमारे समाज का दर्पण होता है। स्वस्थ व्यक्ति स्वस्थ समाज का निर्माण कर सकते हैं। इसके लिए प्रदूषण मुक्त वातावरण आज के समय की मांग है।