इंदिरा गांधी ने 1967 मे rupyo अवमूल्यन क्यों किया
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आधी सदी पहले 6 जून, 1966 स्वतंत्र भारत के आर्थिक इतिहास का एक महत्वपूर्ण दिवस साबित हुआ। 6/6/66 को ही तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने रुपये की कीमत 36.5% घटा दी जिससे रुपये के मुकाबले डॉलर की कीमत 57.4 प्रतिशत बढ़ गई। इंदिरा के इस फैसले के खिलाफ देश के कोने-कोने से तीखी प्रतिक्रिया आई।
6/6/66: 50 साल पहले जब इंदिरा ने किया था रुपये का अवमूल्यन
संजय गुप्ता, नई दिल्ली
50 साल पहले 6 जून, 1966 स्वतंत्र भारत के आर्थिक इतिहास का एक महत्वपूर्ण दिवस साबित हुआ। 6/6/66 को तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने रुपये की कीमत 36.5% घटा दी जिससे रुपये के मुकाबले डॉलर की कीमत 57.4 प्रतिशत बढ़ गई। इंदिरा के इस फैसले के खिलाफ देश के कोने-कोने से तीखी प्रतिक्रिया आई थी। लेकिन, बाद में इंदिरा की यह पॉलिसी देश के बहुत काम आई।
दरअसल, 1966 का साल भारत के राजनीतिक और आर्थिक, दोनों नजरिए से काफी दुर्भाग्यपूर्ण रहा। इसी साल 11 जनवरी को जनता के दिलों पर राज करने वाले तत्कालीन प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री का अचानक निधन हो गया और उनकी जगह इंदिरा गांधी ने केंद्र की सत्ता संभाली। लेकिन, इंदिरा का सत्तासीन होना देश के लिए बहुत कष्टदायक रहा। सुखाड़ से देश में अन्न की भारी कमी हो गई और देश को पहली बार चावल और गेहूं आयात करना पड़ा। वह भी उस हालत में जब देश के पास विदेशी मुद्रा का भी संकट था। साल 1965 में 2,194 करोड़ रुपये के आयात और सिर्फ 1,264 करोड़ रुपये के निर्यात की वजह से देश का व्यापार घाटा 930 करोड़ रुपये पर पहुंच गया जो 60 के दशक में सबसे ज्यादा था