इंद्रियों पर नियंत्रण करने से कौन से दुष्परिणाम होते हैं
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- याद रखो! विषयों से अधिक खतरनाक है विषयों की आशक्ति और विषयों की आशक्ति का त्याग केवल इन्द्रियों के निग्रह से नहीं हो सकता। आशक्ति का त्याग केवल मन के निग्रह से होता है। जब मन निराशक्त हो जाये तो इन्द्रियां अपने-अपने विषयों को भोगती हुई भी इन विषयों से निराशक्त रहती है।
Answer:
जी शुक्रिया,
आप ऐसे सवाल तो पूछते ही रहिए मैं ऐसे सवालों का जवाब बहुत ही खुशी से देना चाहता हूं। क्योंकि आपके सवाल ही मेरी ताकत है।
पहले मैं भी अपने मन व मस्तिष्क पर नियंत्रण नहीं रख पाता था। सामान्यतः किसी भी अर्ध ज्ञानी पुरुष या स्त्री के लिए अपने मन को नियंत्रण में रखना असंभव सा है। क्योंकि उन्होंने इसकी ट्रेनिंग नहीं ली होगी या फिर इस बारे में कुछ नहीं पढ़ा होगा। वैसे आपका सवाल मुझे यह समझाता है कि शायद आपने भी यह ट्रेनिंग नहीं ली होगी।
लेकिन हम लोग कितने खुशनसीब हैं कि हम लोगों को बहुत से ज्ञानी लोगों ने अपने अनुभव को दिया है, जिस अनुभव को प्राप्त करने के पश्चात हम लोग बहुत ही कम अर्थात सीमित समय के अंदर अपने मन एवं मस्तिष्क को नियंत्रण में कर सकते हैं।
ताकि भविष्य में अपने किसी भी उद्देश्य की प्राप्ति के लिए दृढ़ निश्चय पर चल सके।
आपने जो सवाल पूछा है, यह सवाल आज के समय में प्रत्येक प्रतियोगी छात्र, व्यापारी एवं गृहस्थ जीवन जीने वाले लोगों के द्वारा पूछा जाता है। नौकरी कर रहे हजारों लाखों लोगों द्वारा भी इसी सवाल को किया जाता है। क्योंकि सिर्फ पैसे कमाने से हमें आत्मिक संतुष्टि एवं शांति नहीं मिल सकती। इसीलिए उपरोक्त सवाल का जवाब ढूंढना एवं अपने जीवन में लागू करना हमारे लिए काफी फायदे का सौदा साबित हो सकता है।
अब मैं आपको मन को नियंत्रण करने के कुछ फार्मूले या टिप्स देने जा रहा हूं, जिनको अपनाने के पश्चात आप 100% अपने मन को अपने नियंत्रण में ले सकते हैं, वह अलग बात है कि आप कितनी इमानदारी के साथ इन बातों का अनुसरण कर पाते हैं:-