इंद्रदेवता कोटर में तोते से आकर यूँ बोले ।
‘सब पक्षी उड़ गए यहाँ से ,तुमने पंख न खोले ।
रहने लायक हरे वृक्ष देखों हैं कितने इस वन में ।
सूख गया वट वृक्ष गिरेगा , सोच रहे हो क्या मन में /
तोता बोला ,’इंद्रदेव । मैंने कोटर में जन्म लिया ।
वट के फल खाए , इसने रक्षा की ,सम्मान दिया।
सुख-संपत्ति के साथी , विपदा आए करें किनारा।
देवराज । अब स्वय बताओ क्या कर्तव्य हमारा ?
इंद्र हुए खुश,बोले ‘प्रिय। जो माँगो वह वरदान मिले।
तोता बोला ,देव । कृपा से हरा -भरा यह ठूँठ खिले ।
‘तथास्तु’ कहकर देवराज फिर दिए न कहीं दिखाई।
जननी जन्मभूमि की खातिर कितना मन बलिदानी।
मन प्राणों में जागी रहे ,तोते की यह अमर कहानी ।
इंद्रदेवता ने तोता से क्या कहा ?
तोता वृक्ष का कोटर छोड़कर क्यों नहीं जाना चाहता?
मृत्यु का विलोम शब्द पदयांश से ढूँढिए।
वृक्ष का पर्यायवाची लिखिए।
उचित शीर्षक लिखिए ।
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