Hindi, asked by jayesh2773, 2 months ago

इंधन की बचत समय की मांग है इस पर स्वमत लिखिए​

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Answered by Antaradj
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दरअसल इंधन किसी भी ऐसे पदार्थ को कहते हैं जो हमें किसी भी प्रकार से ऊर्जा प्रदान करता है और उस ऊर्जा से हम अपने रोजमर्रा के जीवन व्यापन के काम करते हैं। इंधन मुख्यतः तीन प्रकार से उपलब्ध होते हैं, जैसे ठोस रूप में (उदाहरण कोयला, लकड़ी आदि), तरल रूप में (पेट्रोल, डीजल, केरोसिन) और गैस रूप में (घरों में इस्तेमाल होने वाली एलपीजी गैस आदि)।

अब सोचिए हम इन से ना जाने कितने ही भिन्न-भिन्न प्रकार के काम करते हैं और अगर इंधन उपलब्ध ना हो तो जीवन गुजारना मुश्किल है। उदाहरण के तौर पर कोयले से हमारे कितने ही काज निपटते हैं, जैसे यह रेल को चलाने में काम आता है, गांव के घरों में चूल्हा जलाने में काम आता है, अंगीठी जलाने में काम आता है।

पेट्रोल और डीजल से तो आपको पता ही है सारे वाहन संचालित होते हैं और एलपीजी गैस का उपयोग भी खाना बनाने में धड़ल्ले से किया जाता है और अब तो वाहनों में भी इस्तेमाल होती है।

अब बात यह आती है कि ईंधन हमारे जीवन के लिए विशेष कैसे हैं? क्या उपयोगिता है इसकी? तो आप ईंधन का मूल्य इसके उपयोगों के आधार पर देख सकते हैं, जैसे कोयले से रेल चलती है तो अगर कोयला उपलब्ध नहीं होगा, तो सोचिए कि रेल गाड़ियां क्या चल पाएंगी?

दूसरी ओर पेट्रोल और डीजल से लगभग सभी वाहन चलते हैं तो अगर हमें यह तरल ईंधन उपलब्ध ना हो तो क्या वाहन अपनी जगह से हिल भी पाएंगे, बिल्कुल नहीं ! घरों में अगर एलपीजी गैस नहीं होगी तो घरों का चूल्हा कैसे जलेगा ?

तो जरा सोचिए कि अगर रेलगाड़ियां नहीं चलेंगी, तो क्या लोग एक जगह से दूसरी जगह पर जा पाएंगे, यात्रा कर पाएंगे, क्या बिना यात्रा के हम जीवन व्यतीत भी कर सकते हैं !! बिल्कुल नहीं, रेलगाड़ियों द्वारा बहुत सारा जरूरत का सामान भी एक स्थान से दूसरे स्थान पर पहुंचाया जाता है, जैसे सब्जियां फल कपड़ा आदि ठीक उसी प्रकार से पेट्रोल और डीजल से चलने वाले वाहनों की यातायात में अहम भूमिका है।

बहुत जल्द अगर आप ईंधन की भारी मात्रा में कमी के कारण हाहाकार मचा हुआ देखें और स्थिति दुर्लभ हो तो आश्चर्य नहीं होना चाहिए। मांग और आपूर्ति के इस डांवांडोल खेल में एक पहलू यह भी है कि जब उपलब्धता मैं बहुत ज्यादा कमी आ जाएगी तो दाम भी आसमान छूएंगे, दाम बढ़ने के कारण भी सभी लोग आम एवं खास को बहुत परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है जो कि अपने आप में दुर्भाग्यपूर्ण बात है।

अर्थात मनुष्य को इंधन एवं उनके स्रोतों को सावधानीपूर्वक उपयोग करना चाहिए, साथ ही साथ हमें यह भी कोशिश करनी होगी के प्रदूषण के स्तर को कम कर पाए ताकि मौजूदा उपस्थित इंधन के स्त्रोतों को हानि ना पहुंचे, वह नष्ट ना हो । सरकार को भी इस दिशा में कड़े नियम बनाने होंगे ताकि ईंधन के स्रोतों को बचाया जा सके।

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