Biology, asked by tanwarvansh334, 7 months ago

(i) विद्वांसः एव लोकेऽस्मिन् चक्षुष्मन्तः प्रकीर्तिताः।
(क) चक्षुस् + मतुप (ख) चक्षुष् + मतुप
(ग) चक्षुः+मतुप​

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Answered by madeducators4
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(ख) चक्षुष् + मतुप प्रकीर्तिताः।

स्पष्टिकरणम् :

  • विद्वस् शब्द रूप: इस प्रकार के सभी सकारांत पुल्लिंग शब्दों के शब्द रूप इसी प्रकार बनाते है। संस्कृत व्याकरण एवं भाषा में शब्द रूप अति महत्व रखते हैं। और धातु रूप भी बहुत ही आवश्यक होते हैं। विद्वस् के शब्द रूप इस प्रकार है|
  • चन्द्रमस्, विहायस्, प्रचेतस्, सुमनस्, अप्सरस्, महौजस्, दुर्वासस्, आदि शब्दों के रूप ‘वेधस्’ शब्द के समान चलते हैं।
  • संधि :- सूत्र - *"वर्णानां परस्परं विकृतिमत् संधानं संधिः

  • दो निकटवर्ती वर्णों के परस्पर मेल से जो विकार (परिवर्तन)उत्पन्न होता है वह संधि कहलाता है। जैसे - सम् + तोष: = संतोष: ; देव + इंद्र: = देवेंद्र: ; भानु + उदय: = भानूदय: आदि।संधि :- सूत्र - *"वर्णानां परस्परं विकृतिमत् संधानं संधिः।

  • दो निकटवर्ती वर्णों के परस्पर मेल से जो विकार (परिवर्तन)उत्पन्न होता है वह संधि कहलाता है। जैसे - सम् + तोष: = संतोष: ; देव + इंद्र: = देवेंद्र: ; भानु + उदय: = भानूदय: आदि।

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