(i) व्यथित है मेरा हृदय-प्रदेश,
चलूँ, उसको बहलाऊँ आज।
बताकर अपना सुख-दुख उसे
हृदय का भार हटाऊँ आज।।
चलूँ माँ के पद-पंकज पकड़
नयन जल से नहलाऊँ आज।
मातृ मंदिर में मैंने कहा......
चलूँ दर्शन कर आऊँ आज।
(क) कविता की रचयित्री कौन हैं? ये पंक्तियाँ उनकी किस कविता से ली गई हैं ? उसके हृदय के व्यथित
होने का क्या कारण है ?
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Explanation:
उपर्युक्त पंक्तियां श्रीमती सुभद्रा कुमारी चौहान द्वारा लिखित है यह पंक्तियां उनकी कविता मातृ मंदिर की ओर से ली गई है उपर्युक्त पंक्तियों में कवियत्री श्रीमती सुभद्रा कुमारी चौहान कहना चाहती हैं कि उनका उनका हृदय बहुत विचलित है उसको बहलाने के लिए मंदिर यानी अपने देश की सेवा करना चाहती हैं अपने ह्रदय का भार हटाना चाहते हैं इन पंक्तियों में उनके ह्रदय के व्यथित होने का का कारण यह भी है की उन्होंने अपने देश के लिए ऐसा कुछ नहीं किया जिससे देश का फायदा हो
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