(i) वनवासम् परिसमाप्य कः अयोध्या प्रत्यागच्छत्?
(ii) पुराणे कस्य विषये कथा वर्तते?
(iii) जनाः 'क्रिसमस' पर्व कथम् मानयन्ति?
(iv) ईदमहोत्सवे मुस्लिम-जनाः किम् कुर्वन्ति?
(v) सिक्ख-धर्मावलंबिनः गुरूपर्वणि किम् कुर्वन्ति?
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9ooh very nice and cute dipi
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पहली सदी के शासी निकाय के सामने कौन-से गंभीर सवाल खड़े होते हैं? (ख) क्या बात उन्हें सही नतीजे पर पहुँचने में मदद करती है?
यरूशलेम के एक घर के कमरे में तनाव का माहौल छाया हुआ है। सबके चेहरे पर एक ही सवाल है कि अब क्या फैसला सुनाया जाएगा। प्रेषित और बुज़ुर्ग एक-दूसरे को देख रहे हैं। अब वह नाज़ुक घड़ी आ चुकी है जब उन्हें खतने के मसले पर फैसला करना है। इस मसले ने कुछ ज़रूरी सवाल खड़े किए हैं। क्या मसीहियों पर मूसा का कानून लागू होता है? क्या यहूदी मसीहियों और गैर-यहूदी मसीहियों के बीच कुछ फर्क होना चाहिए?
2 इन बातों पर फैसला करने से पहले अगुवाई करनेवाले प्रेषितों और बुज़ुर्गों ने अपनी बैठक में ढेर सारे सबूतों पर गौर किया है। उन्होंने शास्त्र की भविष्यवाणियों पर और चश्मदीद गवाहों के बयान पर ध्यान दिया है जिनसे यह साफ ज़ाहिर है कि यहोवा ने गैर-यहूदियों पर आशीष दी है। प्रेषित और बुज़ुर्ग अपनी बैठक में मसले के बारे में खुलकर अपनी-अपनी राय बताते हैं। यहोवा की पवित्र शक्ति उन्हें साफ बता रही है कि उन्हें क्या फैसला लेना है। क्या ये भाई पवित्र शक्ति के इस निर्देशन को मानेंगे?
3. प्रेषितों अध्याय 15 में दिए ब्यौरे की जाँच करने से हमें क्या फायदा होगा?
3 पवित्र शक्ति के इस निर्देश को मानने के लिए शासी निकाय के भाइयों को मज़बूत विश्वास और हिम्मत की ज़रूरत है। क्यों? क्योंकि जब वे इस निर्देश के मुताबिक फैसला करेंगे तो यहूदी धर्म-गुरु और भी भड़क उठेंगे जो पहले ही नफरत से भरे हुए हैं। इतना ही नहीं, उन्हें मंडली के उन लोगों से भी विरोध का सामना करना पड़ेगा जिन्होंने परमेश्वर के लोगों को वापस मूसा के कानून की तरफ ले जाने की ठान ली है। अब शासी निकाय क्या करेगा? आइए देखें। इस ब्यौरे को जाँचते वक्त हम यह भी देखेंगे कि शासी निकाय ने सही फैसला करने के लिए क्या-क्या कदम उठाए और आज यहोवा के साक्षियों का शासी निकाय कैसे उनकी मिसाल पर चलता है। जब हमें ज़िंदगी में कुछ फैसले करने होते हैं या हमारे सामने मुश्किलें खड़ी होती हैं, तो हम भी इस मिसाल पर चल सकते हैं।
“इस बात से भविष्यवक्ताओं के वचन भी मेल खाते हैं” (प्रेषि. 15:13-21)
4, 5. चर्चा के दौरान याकूब किस भविष्यवाणी का हवाला देकर ज़्यादा समझ देता है?
4 कमरे में हाज़िर सब लोगों के सामने चेला याकूब खड़ा होता है और बोलना शुरू करता है। याकूब, यीशु का सौतेला भाई है।* शायद वह इस मौके पर प्राचीनों और बुज़ुर्गों की बैठक का सभापति है। शासी निकाय के सभी भाइयों ने मिलकर जो फैसला लिया है, उसे अब याकूब चंद शब्दों में सबके सामने सुनाता है। वह कहता है, “पतरस ने पूरा ब्यौरा देकर बताया है कि परमेश्वर ने कैसे पहली बार गैर-यहूदी राष्ट्रों की तरफ ध्यान दिया कि उनके बीच से वे लोग चुन ले जो परमेश्वर के नाम से पहचाने जाएँ। और इस बात से भविष्यवक्ताओं के वचन भी मेल खाते हैं।”—प्रेषि. 15:14, 15.
5 पतरस के भाषण और बरनबास और पौलुस के बताए सबूतों पर गौर करने से शायद याकूब को ऐसी आयतें याद आयीं होंगी, जो चर्चा के विषय पर ज़्यादा समझ देती हैं। (यूह. 14:26) याकूब कहता है कि “इस बात से भविष्यवक्ताओं के वचन भी मेल खाते हैं।” फिर वह आमोस 9:11, 12 का हवाला देता है। इब्रानी शास्त्र में आमोस “भविष्यवक्ताओं” की किताबों में से एक थी। (मत्ती 22:40; प्रेषि. 15:16-18) आप गौर कर सकते हैं कि याकूब ने आमोस के जिन शब्दों का हवाला दिया वे आज की बाइबल में आमोस की किताब में लिखे शब्दों से थोड़े अलग हैं। यह फर्क इसलिए है क्योंकि याकूब ने शायद सेप्टुआजेंट से हवाला दिया था, जो इब्रानी शास्त्र का यूनानी भाषा में अनुवाद है।
6. शास्त्र में दर्ज़ बातें किस तरह मामले पर और रौशनी डालती हैं?
6 यहोवा ने आमोस नबी से यह भविष्यवाणी करवायी थी कि भविष्य में ऐसा वक्त आएगा जब परमेश्वर “दाविद का गिरा हुआ डेरा” फिर से खड़ा करेगा यानी उस शाही वंश को
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