i want a hasya kavita in hindi
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पाकिस्तान विरोधी कविता : कायर पाक
ना पाक एक भूमि नाम है पाकिस्तान।
भाईचारे की बात में बहरे इसके कान।।
बहरे इसके कान, आँखें इसकी अंधी।
आतंकवादी कुत्तों से, जमीन इसकी गंदी।।
जमीन इसकी गन्दी, चरित्र है बदनाम।
सिर्फ कायरता दिखाना, इसको आता काम।।
इसको आता काम, सिर्फ ज़ाहिलपन दिखाना।
खाने के लिए भी इसको, और देते दाना।।
और देते दाना, खैरात पर है पलता।
कर दो जो थोड़ा बंद, कटोरा लिए फिरता।।
कटोरा लिए फिरता, खाता सबकी डांट।
मिल जाये थोड़ा, इसके चूहे करते बन्दर बाँट।।
चूहे करते बन्दर बाँट, फिर फैलाते हाथ।
दूसरों पर निर्भरता, पाकिस्तान की जात।।
पाकिस्तान की जात सिर्फ, धूर्तता दिखाना।
चेहरे पर इसके लिखा, हर बार थप्पड़ खाना।।
हर बार थप्पड़, फिर भी लेता निर्दोषों की जान।
आतंकी हमलों से चलती इसकी दुकान।।
चलती इसकी दुकान, दुकान से भेड़िये भेजता।
समझ नहीं आता, भारत दुकान क्यों नहीं फोड़ता।।
क्यों नहीं फोड़ता, क्यों नहीं ताला लगाता सीमा पर।
आये दिन हमला कर रहा देश की वह सेना पर।।
सो छप्पन इंच वालों, बदला चाहिए जबरदस्त।
पाकिस्तान को याद आये नानी और लग जाये दस्त।।
Answer:
अशोकचक्रधर...
बस में थी भीड़
और धक्के ही धक्के, यात्री थे अनुभवी,
और पक्के।
पर अपने बौड़म जी तो
अंग्रेज़ी में
सफ़र कर रहे थे,
धक्कों में विचर रहे थे ।
भीड़ कभी आगे ठेले,
कभी पीछे धकेले ।
इस रेलमपेल
और ठेलमठेल में,
आगे आ गए
धकापेल में । और जैसे ही स्टाप पर
उतरने लगे
कण्डक्टर बोला-
ओ मेरे सगे !
टिकिट तो ले जा ! बौड़म जी बोले-
चाट मत भेजा !
मैं बिना टिकिट के
भला हूं,
सारे रास्ते तो
पैदल ही चला हूं ।