I want a latest poem on winter season in hindi
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poem1:
किट किट दांत बजाने वाली,
आई सर्दी आई.
भाग गये सब पतले चादर,
निकली लाल रजाई.
दादा, दादी, नाना, नानी,
सब सर्दी से डरते.
धूप सेंकते, आग तापते,
फिर भी रोज ठिठुरते.
कोट पहन कर मोटे वाला,
पापा दफ्तर जाते.
पहने टोपा, बांधे मफ्लर,
सर्दी से घबराते.
मम्मी जी की हालत पतली,
उल्टी चक्की चलती.
हाथ पैर सब ठन्डे ठन्डे,
मुँह से भाप निकलती.
लेकिन हमसब छोटे बच्चे,
कभी नहीं घबराते,
मस्ती करते हैं सर्दी में,
दिन भर मौज मनाते.
poem 2
ठंडी ठंडी चली हवा,
लगे बर्फ की डली हवा,
चुभती है तीरों जैसी,
कल की वो मखमली हवा,
बाहर मत आना भैया,
लिए खड़ी दोनाली हवा,
दादी कहती मफलर लो,
चल रही मुंह -जली हवा,
स्वेटर, कम्बल , कोट मिले,
नहीं किसी से टली हवा,
गर्मी में सब को भाये,
अब सर्दी में खली हवा
poem1:
किट किट दांत बजाने वाली,
आई सर्दी आई.
भाग गये सब पतले चादर,
निकली लाल रजाई.
दादा, दादी, नाना, नानी,
सब सर्दी से डरते.
धूप सेंकते, आग तापते,
फिर भी रोज ठिठुरते.
कोट पहन कर मोटे वाला,
पापा दफ्तर जाते.
पहने टोपा, बांधे मफ्लर,
सर्दी से घबराते.
मम्मी जी की हालत पतली,
उल्टी चक्की चलती.
हाथ पैर सब ठन्डे ठन्डे,
मुँह से भाप निकलती.
लेकिन हमसब छोटे बच्चे,
कभी नहीं घबराते,
मस्ती करते हैं सर्दी में,
दिन भर मौज मनाते.
poem 2
ठंडी ठंडी चली हवा,
लगे बर्फ की डली हवा,
चुभती है तीरों जैसी,
कल की वो मखमली हवा,
बाहर मत आना भैया,
लिए खड़ी दोनाली हवा,
दादी कहती मफलर लो,
चल रही मुंह -जली हवा,
स्वेटर, कम्बल , कोट मिले,
नहीं किसी से टली हवा,
गर्मी में सब को भाये,
अब सर्दी में खली हवा
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