i want a poem on moon in hindi
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चाँद है मेरा मामा प्यारा,
आता है हर रात को घर मेरा,
हसता है खिड़की से देखते हुए झांक कर
बोलते हुए, हे प्यारे लो ए मैं आ गया,
देखो मेरी तरफ एक बार मुस्कुरा कर ।
खाना खिलाती थी मेरी माँ , चंद को दिखते हुए,
बोलती थी कि तू आया मेरे पास चंद्र लोक से,
भगवान शिवजी के जटाजूट के ऊपर से,
बच्चा बनकर, रतन मणियां स्वर्ण सुमपद्मों से बच्चा बनकर,
प्यार और साथ देने, मेरा जीवन सफल करने।
बहलाती थी माँ कथाएँ सुनाकर मेरे मन को,
सुलाती थी माँ गाना गाकर चाँद और रोहित सूरज के,
ऐसे करती थी दूर दुख मन का मेरा
वे सब सच हों या न, बन गया चंद्र अच्छा सखा मेरा ।
रहता है आकाश में हम से दूर
लेकिन रखता है खयाल बिना मचाये शोर
बहुत अच्छा है मेरा प्रिय मामा चाँद
शीता किरणों से दिखाता है अपना प्यार ।
हम प्रणाम करे या न करे, नहीं गुस्सा करता
प्रकाश बिम्ब एवं रोशनी से दूर दुख मेरा भगाता
सूरज से जो भी कान्ति उसे मिलता,
सब कुछ अपनी धरती पर ही भेज देता।
सिर्फ देव ही नहीं चाँद गगन का
है वह राजा रात और तारों का
भूलता नहीं कभी भलाई हम सब का,
रहा वो दोस्त मेरे दोस्तों और परिवार का ।
कहता है है कि हे मेरे प्यारे दोस्त !
रखो अपना दिमाग शांत और प्रशांत,
दुनिया में कभी भी चाहे कुछ भी होए,
संभालो सबको और सबकुछ हसते हुए ।
बढ़ोगे आगे दुनिया में, पहुँचोगे सब से ऊंचे,
जरूर कीर्तिमान शिखर पर दिन एक न एक
अगर रखोगे खयालें व इरादे नेक
और पहुँचोगे जरूर तारों सुरों व देवों का लोक
आता है हर रात को घर मेरा,
हसता है खिड़की से देखते हुए झांक कर
बोलते हुए, हे प्यारे लो ए मैं आ गया,
देखो मेरी तरफ एक बार मुस्कुरा कर ।
खाना खिलाती थी मेरी माँ , चंद को दिखते हुए,
बोलती थी कि तू आया मेरे पास चंद्र लोक से,
भगवान शिवजी के जटाजूट के ऊपर से,
बच्चा बनकर, रतन मणियां स्वर्ण सुमपद्मों से बच्चा बनकर,
प्यार और साथ देने, मेरा जीवन सफल करने।
बहलाती थी माँ कथाएँ सुनाकर मेरे मन को,
सुलाती थी माँ गाना गाकर चाँद और रोहित सूरज के,
ऐसे करती थी दूर दुख मन का मेरा
वे सब सच हों या न, बन गया चंद्र अच्छा सखा मेरा ।
रहता है आकाश में हम से दूर
लेकिन रखता है खयाल बिना मचाये शोर
बहुत अच्छा है मेरा प्रिय मामा चाँद
शीता किरणों से दिखाता है अपना प्यार ।
हम प्रणाम करे या न करे, नहीं गुस्सा करता
प्रकाश बिम्ब एवं रोशनी से दूर दुख मेरा भगाता
सूरज से जो भी कान्ति उसे मिलता,
सब कुछ अपनी धरती पर ही भेज देता।
सिर्फ देव ही नहीं चाँद गगन का
है वह राजा रात और तारों का
भूलता नहीं कभी भलाई हम सब का,
रहा वो दोस्त मेरे दोस्तों और परिवार का ।
कहता है है कि हे मेरे प्यारे दोस्त !
रखो अपना दिमाग शांत और प्रशांत,
दुनिया में कभी भी चाहे कुछ भी होए,
संभालो सबको और सबकुछ हसते हुए ।
बढ़ोगे आगे दुनिया में, पहुँचोगे सब से ऊंचे,
जरूर कीर्तिमान शिखर पर दिन एक न एक
अगर रखोगे खयालें व इरादे नेक
और पहुँचोगे जरूर तारों सुरों व देवों का लोक
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आता है हर रात को घर मेरा,
हसता है खिड़की से देखते हुए झांक कर
बोलती थी कि तू आया मेरे पास चंद्र लोक से,
बच्चा बनकर, रतन मणियां स्वर्ण सुमपद्मों से
शीता किरणों से दिखाता है अपना प्यार ।
कहता है है कि हे मेरे प्यारे दोस्त !
रखो अपना दिमाग शांत और प्रशांत
चेहरा बनाओ (करो) चमकीला (उज्ज्वल) बिलकुल मेरी तरह
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