I want a summary of all 11 Rahim ke dohe
Answers
Answered by
0
कहि ‘रहीम’ संपति सगे, बनत बहुत बहु रीति।(1)
बिपति-कसौटी जे कसे, सोई सांचे मीत॥
जाल परे जल जात बहि, तजि मीनन को मोह।(2)
‘रहिमन’ मछरी नीर को तऊ न छाँड़ति छोह॥
तरुवर फल नहिं खात है, सरवर पियहि न पान।(3)
कहि रहीम पर काज हित, संपति सँचहि सुजान॥
थोथे बादर क्वार के, ज्यों ‘रहीम’ घहरात।(4)
धनी पुरुष निर्धन भये, करैं पाछिली बात॥
धरती की सी रीत है, सीत घाम औ मेह।(5)
जैसी परे सो सहि रहै, त्यों रहीम यह देह॥
रहीम के दोहों का सारांश(rahim ke dohe class 7 meaning) : श्री रहीम के दोहे हमें कई तरह की नैतिक शिक्षा और जीवन का गहरा ज्ञान देते हैं। पाठ में दिए गए दोहों में सच्चे मित्र, सच्चे प्रेम, परोपकार, मनुष्य की सहनशक्ति आदि के बारे में बहुत ही सरल और मनोहर ढंग से बताया है।
Similar questions