I want an anuched on "meri kalpanik antariksh yatra."
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मै उस दिन थोड़ा ज्यादा थकान महसुस कर रहा था, तो जल्द ही सो गया ।थोड़ो ही क्षणों में अपने काल्पनिक दूनिया मे पहुँच चुका था ।मैने खुद को भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान में अजीब- सा वस्त्र पहने पाया , बड़े - बड़े वैज्ञानिक मेरे आगे - पीछे घुम रहे थे । उन में से कुछ तो मुझे सर कहकर पुकारते थे । मैं तो खुशी से फुले नही समा रहा था । तभी एक वौज्ञानिक जो हुुबहू मेरे जैसा वस्त्र पहने था , आकर मुझे कहा " चलो यार अंतरिक्षयान में हमे प्रवेश करना है । मै , उसके साथ चला गया । वैसे यान में बैठने के कुछ समय बाद मुझे एक झटका का अनुभव हुआ, जैसे किसी ने विमान को धक्का दिया हो।
पर मैं घबड़ाया नही ।कुछ देर बाद मै अपना संतुलन खो रहा था , मैरे सामने की वस्तु गूरूत्व बल से मुक्त विचरण कर रहे थे । मैने विमान के पारदर्शक पदार्थ से झाँक कर देखा , मै तो सुन्न रह गया । हम पृथ्वी से दूर मंगल ग्रह के नजदीक थे। ऐसा सुंदर नजारा देख मै तो पागल हो गया था , सूर्य काफी बड़ी और विशालकाय दिख रही थी , पृथ्वी का तो जवाब नही , अनोखे आकार और गजब की सुदरता ।
ये सब चल ही रहा था कि , मेरे साथ बैठे वैज्ञानिक ने मुझे पुकारा फिर मेरे कोई उत्तर न पाकर मुझे धक्का दिया । मैने उसे देखा ।
ओह - ये क्या । ये तो पापा हैं । " उठो बेटा ६:३० बज गये । " अब पता चला कि ये तो एक सपना था । खैर मेरे लिए ये सपना नही हकीकत है। क्योंकि मै अंतरिक्ष वैज्ञानिक बनना चाहता हुँ । और उसके लिए मै मेहनत भी कर रहा हूँ।
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Answer:
good question
Explanation:
i don't understand the question