i want an essay on buddhi bhagvaan ki den hai vidya guru ki
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कबीर का एक पद है जिसमें उन्होंने गाया है कि अगर गुरु और ईश्वर दोनों एक साथ सामने खड़े हों तो किसके पैर पहले छूना चाहिए। वे खुद ही सवाल करते हैं और जवाब भी स्वयं ही देते हैं कि मैं तो गुरु के चरणों में ही प्रणाम करूंगा। उन्हीं को महत्व दूंगा क्योंकि वे नहीं होते तो मुझे ईश्वर की पहचान कौन कराता?
गुरू गोविन्द दोऊ खड़े, काके लागूं पांय।
बलिहारी गुरू आपने, गोविन्द दियो बताय।।
साधना के क्षेत्र में गुरु को भगवान से भी ऊंचा दर्जा दिया गया है, क्योंकि उनके अनुग्रह के बिना ज्ञान प्राप्त नहीं होता। जीवन रहस्यों का उद्घाटन केवल गुरु ही करने में सक्षम होते हैं। जिस प्रकार नेत्रहीन व्यक्ति को संसार का अनुपम सौन्दर्य दिखाई नहीं दे सकता, उसी प्रकार जब तक गुरु हमें प्रकाश नहीं देगा, उसका मार्गदर्शन हमें नहीं मिलेगा, तब तक आंखें रहते हुए भी हमें चारों ओर अंधकार ही नजर आएगा। हम सही रास्ते पर नहीं चल सकेंगे
Hope it helps you
===== Answer ======
Ye baat sahi hai, ki buddhi bhagwan ki den hai aur vidhya guru ki, kyoki jab hum janm lekar phle baar dharti par aate hai to hum sab kuch jante hote hai...Hume pata hota hai bhuuk lagne par rona hai,, ye hamara samabandi hai..
Kabir ka padh hai...
" Guru govind do hu khade ,, kake lago pauu,, balihari guru apne , govind diyo batayea...
Isme guru ko mahan bataya gaya , unhone hi hame bhagwan sai shakshatkar Karaya..
Kintu us buddhi ko disha dete hai guru..use vidhya aur gyan me badalte hai guru...
Phle maa hame sab baat sikhate hai...fir hum vidhyalya jakae guru sai gyan pate hai Jo hame iss nashwar sansar ka tathta batate hai...
Buddhi antaratma ki hote hai....vidhya dimag ki...
Thank you