I want an essay on environment in hindi
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पर्यावरण का मतलब है हमारे आसपास के पेड़, पौधे, पहाड़, जल, भूगर्भ जल, नदी, पत्थर, मिट्टी, वन, जलचर, जानवर, आदमी, आकाश, हवा ,झरने इत्यादि । जो जो चीज मानव ने नहीं बनाया, वे सब पर्यावरण में शामिल होते हैं । जो चीजें सहज सिद्ध हैं धरती और आकाश पर, वे सब मिल कर पर्यावरण बनता है।
हर व्यक्ति अपने परिवार में और पर्वावरण में निवास करता है । हर आदमी अपने पर्वावरण का एक हिस्सा होता है और अलग से नहीं । परवावरण में होने वाली विभिन्ना प्रकार की गति विभांधियों (यानी बदलाव) से वह बहुत प्रभावित होता है । इसलिये जरूरी है कि हमारा पर्वावरण साफ और सुधारा रहे । परवावरण में किसी प्रकार के असंतुलन (मिस-मॅनेज्मेंट, इमबॅलेन्स) ना पैदा हो जाए ।
लेकिन कई कारणों से हमारे पर्यावरण में असंतुलन आ पहुंचा । जल, वायु, मिट्टी, वन जैसे प्रकृतिक तत्व प्रदूषित (पोल्यूटेड) हो रहे हें । इस का परिणाम हें जलवायु में परिवर्तन, जैव विभान्धता के लिये संकट, बाढ़, सूखा (फमीन), और स्वास्थ्य संबंधी अनेक समस्याएं । हम तो हर दिन कुछ न कुछ टीवी, आकाशवाणी और अखबार में सुनते हैं और पढ़ते है की कहीं न कहीं बारिश नहीं होता, और कहीं बढ़ आते हैं। कहीं तूफान आते हैं तो कहीं आंधी । हम ज्यादा से ज्यादा भूगर्भ जल बाहर निकालकर इस्तेमल करते आ रहे हैं । इसका परिणाम यह हो सकता है कि कुछ दशाब्दों के बाद पानी की कमी पड सकता है । बारिश होने के बाद उस पानी को बचाने के कुछ तरीके हैं "रैन वॉटर हार्वेस्टिंग " कहते हैं ।
अतः हमें अपनी गाति विभांधियों को नियंत्रित करना होगा, जो परवावरण को बुरी तरह से बिगाड़ रहे हें । हमें अपने चारों ओर की आबोहवा को शुद्ध रखना होगा। हमें जल और वायु की शुद्धता बनाये रखने के प्रयास करने होंगे । वनों को नष्ट होने से रोकना होगा और बचाना होगा । वन्य जीवन के संरक्षण के प्रयास हमें करने होंगे । कई तरीके के इंधन हम जब जलाते हैं, उससे बहुत धुआं निकलता है । इस धुए में रसायनिक वायु होते हैं । कुछ औध्योगिक संस्थाएं हानिकारक रसायन, अपशिष्ट, रद्दी नदी या समुंदर के पानी में मिलाते हैं । इस से जल चर मर जाते हैं । कुछ प्लास्टिक (सुघटिय) और बहुलक हम थैलियों के रूप में इस्तेमाल करते हैं । हम पोलिथीन की थैली इधर उधर फेंक देते हैं । वे मिट्टी में सहज रूप में अपने आप बदल नहीं जाती हैं, जैसे कि कागज मानव और जन्तु के शरीर मिट्टी में मिल जाते हैं । हमें वही चीज इस्तेमाल करना चाहिए जोकि हमारे वातावरन को हानि नहीं पहुंचाते हैं ।
वाहन चालक को अपने वाहन से प्रदूषण नहीं हो, इसका खयाल रखना चाहिए । कम से कम बिजली कि इस्तेमाल करें और जो जो घर के अंदर उपकरण और यंत्र हर रोज इस्तेमाल करते हैं , उनके दक्षता सूचकांक हमें जांच लेना चाहिए। ऊर्जा शक्ति की इस्तेमाल अधिक से अधिक हो, उन्हें चुनलेना चाहिए ।
अपने पर्वावरण को सही दशा (हालात) में बनाए रखना हमारा अपना और प्रति एक नागरिक का परम कर्तव्य है। नहीं तो हम आराम से हवा नहीं खा पायेंगे ना पानी पी पायेंगे। सारे ओंर विनाश ही नजर आयेगा। बदलो और बदलाव लाओ ।
Answer:
सभी प्रकार के प्राकृतिक तत्व जो जीवन को सम्भव बनाते हैं वह पर्यावरण के अन्तर्गत आते हैं जैसे- पानी, हवा, भूमि, प्रकाश, आग, जंगल, जानवर, पेड़ इत्यादि। ऐसा माना जाता है की पृथ्वी ही एक ऐसा ग्रह है जिस पर जीवन है तथा जीवन के अस्तित्व को बनाए रखने के लिए, पर्यावरण है।
पर्यावरण प्रदुषण का हमारे जीवन पर प्रभाव
पर्यावरण के अभाव में जीवन की कल्पना भी नहीं की जा सकती तथा हमें भविष्य में जीवन को बचाये रखने के लिए पर्यावरण की सुरक्षा को सुनिश्चित करना होगा। यह पृथ्वी पर निवास करने वाले प्रत्येक व्यक्ति की ज़िम्मेदारी है। हर व्यक्ति सामने आये तथा पर्यावरण संरक्षण के मुहिम का हिस्सा बने।
पृथ्वी पर विभिन्न चक्र है जो नियमित तौर पर पर्यावरण और जीवित चीजों के मध्य घटित होकर प्रकृति का संतुलन बनाये रखते हैं। जैसे ही यह चक्र विक्षुब्ध (Disturb) होता है पर्यावरण संतुलन भी उससे विक्षुब्ध होता है जो निश्चित रूप से मानव जीवन को प्रभावित करता है। हमारा पर्यावरण हमें पृथ्वी पर हजारों वर्ष तक पनपने तथा विकसित होने में मदद करता है, वैसे ही जैसे की मनुष्य को प्रकृति द्वारा बनाया गया पृथ्वी का सबसे बुद्धिमान प्राणी माना जाता है, उन में ब्रम्हांड के तथ्यों को जानने की बहुत उत्सुकता होती है जो की उन्हें तकनीकी उन्नति की ओर अग्रसर करता है।
हम सभी के जीवन में इस तरह की तकनीक प्रगति हुई है, जो दिन प्रतिदिन जीवन की संभावनाओं को खतरे में डाल रहीं हैं तथा पर्यावरण को नष्ट कर रहे हैं। जिस तरह से प्राकृतिक हवा, पानी, और मिट्टी दुषित हो रहे हैं, ऐसा प्रतीत होता है जैसे यह एक दिन हमें बहुत हानि पहुंच सकता है। यहाँ तक की इसने अपना बुरा प्रभाव मनुष्य, जानवर, पेड़ तथा अन्य जैविक प्राणी पर दिखाना शुरू भी कर दिया है। कृत्रिम रूप से तैयार खाद तथा हानिकारक रसायनों का उपयोग मिट्टी की उर्वरकता को नष्ट करता है, तथा हम जो रोज खाना खाते है उसके माध्यम से हमारे शरीर में एकत्र होता जाता है। औद्योगिक कम्पनीयों से निकलने वाला हानिकारक धुंआ हमारे प्राकृतिक हवा को दुषित करती हैं जिससे हमारा स्वास्थय प्रभावित होता है, क्योंकि हमेशा हम सांस के माध्यम से इसे ग्रहण करते हैं।
प्रदुषण में वृद्धि, प्राकृतिक स्त्रोत में तेजी से कमी का मुख्य कारण है, इससे न केवल वन्यजीवों और पेड़ों को नुकसान हुआ है बल्की उन्होंने ईको सिस्टम को भी बाधित किया है। आधुनिक जीवन के इस व्यस्तता में हमें कुछ बुरे आदतों पर ध्यान देना आवश्यक है जो हम दैनिक जीवन में करते हैं।
यह सत्य है की हमारे नष्ट होते पर्यावरण के लिए हमारे द्वारा किया गया छोटा प्रयास बड़ा सकारात्मक बदलाव कर सकता है। हमें अपने स्वार्थ की पूर्ति तथा विनाशकारी कामनाओं के लिए प्राकृतिक संसाधनों का गलत उपयोग नहीं करना चाहिए। हमें हमारे जीवन को बेहतर बनाने के लिए विज्ञान तथा तकनीक को विकसित करना चाहिए पर हमेशा इस बात का ध्यान रखना चाहिए की यह भविष्य में पर्यावरण को किसी भी प्रकार से नुकसान न पहुचाएं।
निष्कर्ष
आधुनिक तकनीक परिस्थिकिय संतुलन को भविष्य में कभी विक्षुब्ध न करें हमें इस बात का खयाल रखना चाहिए। समय आ चुका है कि हम प्राकृतिक संसाधनों का अपव्यय बंद करें और उनका विवेकपूर्ण तरह से उपयोग करें।