I WANT AN ESSAY ON "MAN EK BARTAN NAHI HAI JISE BHARA JANA HAI,BALKI EK JWALA HAI JISE PRAJWLIT KIYA JANA HA"
arjunverm272:
I WANT AN ESSAY ON "MAN EK BARTAN NAHI HAI JISE BHARA JANA HAI,BALKI EK JWALA HAI JISE PRAJWLIT KIYA JANA HA"
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मन एक बरतन नहीं, जिसे भरा जाना
है, बल्कि एक ज्वाला है जिसे प्रज्वलित
किया जाना है
हमारे घरों में बरतन रखे जाते हैं, जो पानी, रसायन, खाद्य पदार्थ, पकाने के सामान रखते हैं । जब जब जरूरत पड़ता है, तब तब उनमें से चीजें निकालते हैं । इस मामले में हम काफी चालाक हैं, फिर भी अपने खुद के दिमाग के बारे में इतना चालाक नहीं।
ज़्यादातर बरतन बर्बाद और नाश नहीं होंते , जब हम घर में डेढ़ सारे चीजें उनमें भरते हैं । उन को आसानी से साफ भी किया जा सकता है। जो भी उन में है हमारे आंखों कों दीखता है। तब बरतन की बात हुई आसान।
कहावत में "मन" कहने का अर्थ है दिमाग या दिल। दिल और दिमाग आदमी के खास अंग हैं, जिनके बिना बदन होने का कुछ मतलब ही नहीं है । तब इतनी कीमती अंग हमको ठीक इस्तेमाल करना चाहिए ।
कुछ नुकसान
हम जो भी सीखेँ, देखें, पढ़ें, जानें, पहचानें वह सब दिमाग में जाता है। दिल में भावनाएं उत्पन्न होती हैं। हम अधिकतर ऐसे विषयों पर विचार विमर्श करें जिनसे हमारा कुछ भला हो। आगर हम फिल्में, राजनीति, बेकार चर्चे, इंटरनेट, टीवी, खेल कूद, दुनिया का समाचार, सामान्य ज्ञान पर ज्यादा से ज्यादा ध्यान देते हैं तो, वो सब दिमाग में बैठ जाते हैं। इस से शायद यह हो सकता है कि जब हमें पढ़ते वक्त कुछ विषय पर सोचने में तकलीफ हो सकता है या तो भूल भी सकते हैं । जरूरी विषय जल्दी से याद करने में देर हो सकता है। यह समझ लो कि अगर हम हमारे कमरे में बहुत सारी वस्तु रखते हैं, तो कुछ डूंढ्ने ने में तो कुछ न कुछ तकलीफ होगी न?
जब हम पढ़ते हैं, जो भी समझते हैं, वह सब हमारे दिमाग में भरता है । सोच समझ कर, विश्लेषण करके याद करना है। बिना विश्लेषण के अगर हम रट्टा करते हैं तो फिर परीक्षाओं में सवाल के अनुसार हम जवाब नहीं दे पाते हैं। फिर पढ़ने का फाइदा ही नहीं है ।
क्या करें :
जो ज्ञान हमने सीखा उसे बुद्धिमान तरीके से याद करने के लिए और दुनिया में इस्तेमाल करने के लिए मस्तिष्क में एक आग सा लगना होता है। एक चमत्कार भी कह सकते है। वह है सोचने समझने याद करने के सूत्र और फाईदे से इस्तेमाल करने के सूत्र । कुछ विषय याद करने से पहले यह सोचना है कि "क्यों याद करें" । उसके बाद हम दिमाग को तेज चलेगा । हमारा दिमाग प्रज्वलित हो जाएगा ।
तो पढ़ाई के वख्त सब विषयों के बारे में इन सवालों का जवाब समझ लेना चाहिए : क्यों , कब, किस लिए, कौन, किस को, कैसे, कहाँ । इस को तर्क भी कहते हैं । बस समझो कि दिमाग को खुशी और आराम भी मिलेगा ।
अपने दिल और दिमाग का इज्जत रखो, खाली बरतन ना समझो । अनितर संरक्षित जमा कक्ष (एक कीमती तिजोरी) समझो । तब तो तीन सीख है इस अनुच्छेद में : 1) दुनिया में बहुत कुछ चलता रहता है। उसका मतलब यह नहीं को सब जानें। 2) मन (दिमाग) के अंदर ऐसे विषय लेना चाहिए जो जरूरी हो और जो हमें पता है कि काम आएंगे । और 3) अंदर लेने का तरीका है, तर्क करके, समझ करके फिर याद करना है ।
हमारे घरों में बरतन रखे जाते हैं, जो पानी, रसायन, खाद्य पदार्थ, पकाने के सामान रखते हैं । जब जब जरूरत पड़ता है, तब तब उनमें से चीजें निकालते हैं । इस मामले में हम काफी चालाक हैं, फिर भी अपने खुद के दिमाग के बारे में इतना चालाक नहीं।
ज़्यादातर बरतन बर्बाद और नाश नहीं होंते , जब हम घर में डेढ़ सारे चीजें उनमें भरते हैं । उन को आसानी से साफ भी किया जा सकता है। जो भी उन में है हमारे आंखों कों दीखता है। तब बरतन की बात हुई आसान।
कहावत में "मन" कहने का अर्थ है दिमाग या दिल। दिल और दिमाग आदमी के खास अंग हैं, जिनके बिना बदन होने का कुछ मतलब ही नहीं है । तब इतनी कीमती अंग हमको ठीक इस्तेमाल करना चाहिए ।
कुछ नुकसान
हम जो भी सीखेँ, देखें, पढ़ें, जानें, पहचानें वह सब दिमाग में जाता है। दिल में भावनाएं उत्पन्न होती हैं। हम अधिकतर ऐसे विषयों पर विचार विमर्श करें जिनसे हमारा कुछ भला हो। आगर हम फिल्में, राजनीति, बेकार चर्चे, इंटरनेट, टीवी, खेल कूद, दुनिया का समाचार, सामान्य ज्ञान पर ज्यादा से ज्यादा ध्यान देते हैं तो, वो सब दिमाग में बैठ जाते हैं। इस से शायद यह हो सकता है कि जब हमें पढ़ते वक्त कुछ विषय पर सोचने में तकलीफ हो सकता है या तो भूल भी सकते हैं । जरूरी विषय जल्दी से याद करने में देर हो सकता है। यह समझ लो कि अगर हम हमारे कमरे में बहुत सारी वस्तु रखते हैं, तो कुछ डूंढ्ने ने में तो कुछ न कुछ तकलीफ होगी न?
जब हम पढ़ते हैं, जो भी समझते हैं, वह सब हमारे दिमाग में भरता है । सोच समझ कर, विश्लेषण करके याद करना है। बिना विश्लेषण के अगर हम रट्टा करते हैं तो फिर परीक्षाओं में सवाल के अनुसार हम जवाब नहीं दे पाते हैं। फिर पढ़ने का फाइदा ही नहीं है ।
क्या करें :
जो ज्ञान हमने सीखा उसे बुद्धिमान तरीके से याद करने के लिए और दुनिया में इस्तेमाल करने के लिए मस्तिष्क में एक आग सा लगना होता है। एक चमत्कार भी कह सकते है। वह है सोचने समझने याद करने के सूत्र और फाईदे से इस्तेमाल करने के सूत्र । कुछ विषय याद करने से पहले यह सोचना है कि "क्यों याद करें" । उसके बाद हम दिमाग को तेज चलेगा । हमारा दिमाग प्रज्वलित हो जाएगा ।
तो पढ़ाई के वख्त सब विषयों के बारे में इन सवालों का जवाब समझ लेना चाहिए : क्यों , कब, किस लिए, कौन, किस को, कैसे, कहाँ । इस को तर्क भी कहते हैं । बस समझो कि दिमाग को खुशी और आराम भी मिलेगा ।
अपने दिल और दिमाग का इज्जत रखो, खाली बरतन ना समझो । अनितर संरक्षित जमा कक्ष (एक कीमती तिजोरी) समझो । तब तो तीन सीख है इस अनुच्छेद में : 1) दुनिया में बहुत कुछ चलता रहता है। उसका मतलब यह नहीं को सब जानें। 2) मन (दिमाग) के अंदर ऐसे विषय लेना चाहिए जो जरूरी हो और जो हमें पता है कि काम आएंगे । और 3) अंदर लेने का तरीका है, तर्क करके, समझ करके फिर याद करना है ।
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