i want an essay on prakritik santulan mein manushya ka yogdan please tomorrow is my hindi exam
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प्राकृतिक संतुलन में मनुष्य का बहुत योगदान है। प्रकृति की सभी चीजें मनुष्य के लिए एक वरदान हैं। जल हमारे जीवन के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। वह धोने, नहाने, पीने और खाना पकाने के लिए अत्यंत आवश्यक है। उसके बिना उपज नहीं हो सकती है। लोग जल को व्यर्थ नष्ट करते हैं जिसके कारण अनेक स्थानों पर जल की कमी हो गयी है और वहां कई दिनों तक पानी नहीं आता है।
वन हमारी अमूल्य सम्पदा हैं। वे वर्षा को आकर्षित करते हैं। हमें उनसे लकड़ी प्राप्त होती है जो अनेक कामों के लिए उपयोग करी जाती है। इसलिए हमें उन्हें बिना सोचे समझे नहीं काटना चाहिए। परन्तु लोग वनों को नष्ट करते आ रहे हैं।
इसी प्रकार धरती भगवान का वरदान है। उसके बिना खेती नहीं हो सकती और हमें अन्न नहीं प्राप्त हो सकता है। उस के ऊपर हमारे घर बनते हैं और हमें रहने के लिए स्थान प्राप्त होता है। परन्तु लगो उसका दुरूपयोग करते हैं जिसके कारण धरती कम उपजाऊ होगई है और जगह जगह पर भूकंप आने लगे हैं।
नदियाँ, पर्वत, खनिज पदार्थ, वायु आदि सब प्राकृतिक साधन हमारे लिए अमूल्य हैं। हमें उनकी उचित देख भाल करनी चाहिए और उनका सही उपयोग करना चाहिए। लोग इन सब चीजों का दुरूपयोग करते हैं और सबको परेशानी होती है।