I want an essay on topic badalte jeevan ka mulya in hindi and also it should of 400 words plz need fast so reply fast too.
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किसी भी इंसान के जीवन में मूल्यों का अहम योगदान रहता है क्योंकि इन्हीं के आधार पर अच्छा-बुरा या सही-गलत की परख की जाती है। इंसान के जीवन की सबसे पहली पाठशाला उसका अपना परिवार ही होता है और परिवार समाज का एक अंग है। उसके बाद उसका विद्यालय, जहां से उसे शिक्षा हासिल होती है। परिवार, समाज और विद्यालय के अनुरूप ही एक व्यक्ति में सामाजिक गुणों और मानव मूल्यों का विकास होता है। प्राचीन काल के भारत में पाठशालाओं में धार्मिक शिक्षा के साथ मूल्य आधारित शिक्षा भी जरूरी होती थी। लेकिन वक्त के साथ यह कम होता चला गया और आज वैश्वीकरण के इस युग में मूल्य आधारित शिक्षा की भागीदारी लगातार घटती जा रही है। सांप्रदायिकता, जातिवाद, हिंसा, असहिष्णुता और चोरी-डकैती आदि की बढ़ती प्रवृत्ति समाज में मूल्यों के विघटन के ही उदाहरण हैं।
भारतीय संविधान का अनुच्छेद-15 किसी भी व्यक्ति के साथ जाति, धर्म, भाषा और लिंग के आधार पर भेदभाव की मुखालफत करता है। लेकिन सच यह है कि संविधान लागू होने के पैंसठ साल बाद भी हमारे विद्यालयों में जाति, धर्म, भाषा और लिंग के आधार पर भेदभाव करने वाले उदाहरण आसानी से मिल जाएंगे। विभिन्न विद्यालयों में अपने शिक्षण अनुभवों के दौरान मैंने देखा कि विद्यालय में पानी भरने के अलावा सफाई का काम लड़कियों से ही कराया जाता है। अध्यापक पीने के लिए पानी कुछ खास जाति के बच्चों को छोड़ कर दूसरी जातियों के बच्चों से ही मंगवाते हैं। ऐसे उदाहरण भी देखने में आए कि बच्चे मिड-डे-मील अपनी-अपनी जाति के समूह में ही बैठ कर खा रहे थे। स्कूल में कबड्डी जैसे खेल सिर्फ लड़के खेलते हैं। इस प्रकार के अनेक उदाहरण हमारे आसपास के स्कूलों में देखने को मिल जाएंगे।
हाल ही में नई दिल्ली स्थित एनसीईआरटी ने वर्तमान संदर्भ में प्रासंगिक मूल्यों की सूची तैयार की है। इसका बदलाव हम प्राथमिक स्तर की पाठ्यपुस्तकों में भी देख सकते हैं। कुछ साल पहले तक पाठ्यपुस्तकों में भी भेदभाव करने वाले चित्र नजर आते थे, मसलन, झाड़ू लगाती हुई लड़की, खाना बनाती औरतें, हल चलाते हुए किसान और उपदेश देते गुरु आदि। लेकिन पाठ्यपुस्तकों में बदलाव के बाद इन चित्रों में गुणात्मक बदलाव देखने को मिलता है। मसलन, सफाई करते हुए लड़के और खेलती हुई लड़कियां आदि।
पाठ्य-पुस्तकों में जाति, धर्म और लिंग आधारित चित्रों में जो रूढ़िबद्ध जड़ता थी, उससे आगे बढ़ कर अब तस्वीर का दूसरा पहलू भी सामने आ रहा है। यह बदलाव केवल चित्र के स्तर पर नहीं, बल्कि विषय-वस्तु और निर्देशों के स्तर पर भी देखा जा सकता है। लेकिन यहां ध्यान देने योग्य बात यह है कि जिन मूल्यों की बात पाठ्य-पुस्तक करती है, उनका उपयोग शिक्षक विद्यालय में कैसे कर रहा है! यह एक अजीब विडंबना है कि पाठ्यपुस्तकों से शिक्षाविदों ने सामाजिक और मानवीय भेदभाव को अभिव्यक्त करने वाले चित्रों को तो बदल दिया, मगर विद्यालयी वातावरण में वह आज भी उसी शक्ल में मौजूद है।
आमतौर पर शिक्षक बच्चों को पाठ पढ़ाना और नैतिक सीख देना ही काफी समझते हैं और विद्यार्थी के व्यवहार में मूल्यगत बदलाव पर कम ध्यान देते हैं, क्योंकि जिस जाति या समाज से शिक्षक संबंध रखता है, उसके मुताबिक उसकी अपनी कुछ मान्यताएं होती हैं। उन अतार्किक जड़बद्ध सामाजिक-धार्मिक पूर्वाग्रहों की वजह से शिक्षक तर्कशील होकर नहीं सोच पाता है, क्योंकि उस पर जाति, धर्म और समाज विशेष की पहले से बनी धारणाएं हावी रहती हैं। उन्हीं रूढ़िबद्ध मान्यताओं के अनुसार वह चलना चाहता है। लेकिन जब तक शिक्षक अपने आपको तर्क की कसौटी पर रख कर नहीं सोचेगा, तब तक वह न तो अपने व्यवहार में परिवर्तन ला सकता है और न ही विद्यार्थियों में मूल्यों के प्रति आस्था विकसित कर सकता है।
एक शिक्षक का फर्ज बनता है कि वह पाठ्य-पुस्तकों में दिए गए ‘मूल्यों’ का महत्त्व समझे, उन्हें अपने जीवन व्यवहार का हिस्सा बनाए, फिर बच्चों के दैनिक व्यवहार में लाने का प्रयास करे। स्कूलों से समाज की अपेक्षा होती है कि वह तर्कशील मनुष्य प्रदान करे। इसलिए स्कूलों में ही जरूरी मानव मूल्यों की शिक्षा नहीं दी गई तो कहीं न कहीं राष्ट्र के प्रति अपनी नैतिक जिम्मेदारी निभाने से हम चूक जाएंगे। लिहाजा, आवश्यक है कि पाठ्य-पुस्तकों में उल्लिखित मूल्यों के प्रति शिक्षक समाज चिंतनशील हो, उन्हें बच्चों के दैनिक जीवन में लेकर आए।
Answer:
बदलते जीवन का मूल्य पर निबंध।
Explanation:
बदलते जीवन का मूल्य
जीवन में व्यक्तित्व आने का हर किसी का सपना होता है, और वे इसे हासिल करने के लिए उत्साह से आह्वान करते हैं। विशेषता वास्तव में मान्य है क्योंकि यह हमें सही रास्ता चुनने और हमें समृद्ध बनाने में मदद करती है। यह आपका समय बर्बाद नहीं होने देता है और आपको अपने स्टाइलिश में पूरा करने में मदद करता है। जब मैं अपनी प्राथमिक कक्षाओं में था, मैंने अपनी अकादमी के वार्षिक समारोह में भाग लिया, और इसके लिए मुझे समान रूप से पुरस्कृत किया गया। यह मेरे लिए एक वेक-अप नोट था क्योंकि मैं भी युवा था। मुझे अभी भी उन जयकारों की गड़गड़ाहट सुनाई देती है। जैसे सभी ने मेरी सराहना की और मैं वास्तव में भाग्यशाली महसूस कर रहा था। नृत्य ने मुझे हमेशा मंत्रमुग्ध किया है और मैं अकादमी जाने की तुलना में अपनी कुलीन कक्षा में जाने के लिए अधिक उत्तेजित था।
मेरे माता-पिता ने मुझे एक डांस क्लास के लिए स्वीकार किया, जहां मैं हर दिन नए तरीके और तरीकों में महारत हासिल करता हूं। मैं अपने शिक्षकों को सुनता हूं और प्रतिदिन उनका अभ्यास करता हूं। मेरी माँ भी मेरे लिए बहुत मेहनत करती है, वह मुझे डांस क्लास के लिए ले जाती है, वह भी इंस्ट्रक्शन क्लास के लिए। जब वह घर वापस आती है, तो वह भी हमारे लिए खाना बनाती है और मैं अब अपने माता-पिता की संभावनाओं को नीचे जाने देना चाहता हूं। मेरे माता-पिता हमेशा कहते हैं कि कोई भी काम बड़ा या नगण्य नहीं होता, यह तो हमारी सोच पर निर्भर करता है। हालाँकि, आप भी मदर टेरेसा की तरह आ सकते हैं, अगर आप खुद को एक अच्छा इंसान बनाने का फैसला करते हैं। यह सब हमारे कठिन परिश्रम और निष्ठा पर निर्भर करता है। हमें सब कुछ सीखना चाहिए लेकिन एक बात पर ध्यान देना चाहिए, ताकि आप अपने पेशे के प्रति समर्पित रहें और यही सफलता की कुंजी है। मैं रोजाना चार घंटे पढ़ाई करता हूं और अपने असाइनमेंट और सिस्टम को समय पर पूरा करता हूं। वास्तव में अनुशासन हमारे जीवन के लिए अनिवार्य रूप से आवश्यक है, और यदि आप इसे प्रभाव प्राप्त करने की आदत बनाते हैं, तो यह आपकी सफलता में हमेशा आपकी मदद करेगा। मेरी एक दिनचर्या है और मैं इसका नियमित रूप से पालन करता हूं। जब भी मुझे किसी सामग्री के बारे में संदेह होता है, तो मैं अपने स्कूली शिक्षक की मदद लेता हूं और उसे तोड़ देता हूं। अपने आप को नियमित और केंद्रित देखने के लिए हर चीज का साफ होना बेहद जरूरी है। मैं एक मास्टरमाइंड के रूप में दूसरों की कैसे मदद करूं?
मैंने स्वचालित मोटर बनाने का फैसला किया है जो लोगों की मदद करेगी और उनके काम को हल्का करेगी। आम तौर पर लोग घर बनाने में बहुत खर्च करते हैं, और मेरे घर में सफाई करने वालों की कमी के कारण मेरी माँ को बहुत तकलीफ होती है। इसलिए मैंने अपनी माँ के साथ-साथ अन्य लोगों के लिए एक स्वचालित हाउस क्लीन्ज़र उपहार में देने का निष्कर्ष निकाला है। मैं विद्वानों के लिए एक मोटर बनाना चाहता हूं जो उन्हें उनकी पढ़ाई में मार्गदर्शन कर सके।
आम तौर पर, जब भी हम Google पर कोई वस्तु खोजते हैं, तो हम उसे बार-बार अपने फोन या लैपटॉप की बड़ी स्क्रीन पर देखते हैं, जो कई मामलों में हमारे लिए खतरनाक है। इसलिए मुझे एक ऐसा उपकरण विकसित करने की आवश्यकता है जो आपको एक स्कूली शिक्षक की तरह शिक्षित करे और आपको स्वचालित रूप से फिल्म प्रदर्शित करे, और आपको आवश्यक सभी डेटा प्रदान करे।
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