I want an essay on topic dukh me sumiran sab kare in hindi
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दुःख में सुमिरन सब करे सुख में करै न कोय। जो सुख में सुमिरन करे दुःख काहे को होय ॥
यह दोहा कबीर दास जी लिखा है इसका अर्थ है ,
कबीर दास जी कहते हैं कि दुःख के समय सभी भगवान् को याद करते हैं पर सुख में कोई नहीं करता। यदि सुख में भी भगवान् को याद किया जाए तो दुःख हो ही क्यों !
जब मनुष्य बहुत दुखी होता ये बहुत परेशान होता है तब वह भगवान् को बहुत याद करता है , भगवान सब ठीक कर दो | लेकिन जब इंसान सुख में होता तब उसे कोई याद नहीं करता तब सब कुछ भूल जाता है | हमें ऐसा नहीं करना चाहिए दुःख हो या सुख हमें भगवान के लिए रोज़ थोड़ा सा समय निकलना चाहिए और उनका धन्यवाद करना चाहिए हमें अच्छा जीवन देने के लिए और खुशियाँ देने के लिए | भगवान् हमेशा हमारे साथ होते है |
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ok
Explanation:
hum sabhi jante h ki bhagvan ne is पृथ्वी की रचना की है
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