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जब धरती का तापमान बढ़ जाता है और धरती गर्म होने लगती है, उसे ग्लोबल वार्मिंग कहते हैं। यह तब होता है जब ग्रीनहाउस की गैसेस सूरज की गर्मी और रोशनी को पकड़कर धरती के वायु मंडल में रोक लेती हैं। यह लोगों, पशु पक्षियों और पेड़ों के लिए हानिकर होता है। जो इसको सहन नहीं कर पाते हैं वे नष्ट हो जाते हैं।
ग्लोबल वार्मिंग के अनेक कारण हैं। कार्बन डाइऑक्साइड, मीथेन, क्लूरोफ्लुरो कार्बन, नाइट्रस ऑक्साइड्स आदि धरती को चारों ओर से घेरे रहती हैं। सूरज की गर्म किरणें इनके अंदर प्रवेश कर सकती हैं पर वापस धरती से बाहर नहीं जा पाती हैं। इसलिए सूरज की गरमाई धरती के करीब रहती है और धरती का तापमान बढ़ जाता है।
वैज्ञानिकों का कहना है कि 2050 तक धरती का तापमान 4° to 5°C और ज्यादा हो जायेगा। पिछली पांच शताब्दियों
में धरती का तापमान 1°C बढ़ा है। उसमें से आधे से ज्यादा वार्मिंग बीसवीं
शताब्दी में हुई है। इस प्रकार ग्लोबल वार्मिंग में बहुत तेज़ी से वृद्धि हो रही
है।