I want anuched on vidyarthi Jeevan nirantar abhyas
Answers
Answered by
31
"करत करत अभ्यास के जड़मति होत सुजान जड़मति होत सुजान
रसरी आवत जात ते सिल पर परत निशान"
अर्थात जिस प्रकार कुएंं से बार बार पानी खींचने पर पत्थर पर कोमल रस्सी निशान बना देती है उसी प्रकार अभ्यास करने से मूर्ख व्यक्ति भी चतुर बन जाता है। विद्यार्थी जीवन में निरंतर अभ्यास की आवश्यकता होती है । अभ्यास के द्वारा ही कठिन से कठिन पाठ भी सरल हो जाता है। अभ्यास के बल पर मनुष्य ही नहीं बल्कि पशु-पक्षी भी कमाल कर दिखाते हैं । जो व्यक्ति अभ्यास नहीं करता वह जीवन में उन्नति नहीं कर सकता अभ्यास के द्वारा ही विद्यार्थी अपने लक्ष्य को प्राप्त कर सकता है। संस्कृत में भी कहा गया है "उद्यमेन ही सिद्धयंति कार्याणि न मनोरथै:" अर्थात उद्यम करने से ही कार्य की सिद्धि प्राप्त होती है मनोरथ करने से कुछ नहीं होता। प्राचीन काल से लेकर आधुनिक काल तक सभी विद्यार्थी अभ्यास के द्वारा ही सफलता को प्राप्त करते हैं। सतत अभ्यास ही सफलता की कुंजी होता है अतः विद्यार्थी जीवन में अभ्यास निरंतर आवश्यक है।
रसरी आवत जात ते सिल पर परत निशान"
अर्थात जिस प्रकार कुएंं से बार बार पानी खींचने पर पत्थर पर कोमल रस्सी निशान बना देती है उसी प्रकार अभ्यास करने से मूर्ख व्यक्ति भी चतुर बन जाता है। विद्यार्थी जीवन में निरंतर अभ्यास की आवश्यकता होती है । अभ्यास के द्वारा ही कठिन से कठिन पाठ भी सरल हो जाता है। अभ्यास के बल पर मनुष्य ही नहीं बल्कि पशु-पक्षी भी कमाल कर दिखाते हैं । जो व्यक्ति अभ्यास नहीं करता वह जीवन में उन्नति नहीं कर सकता अभ्यास के द्वारा ही विद्यार्थी अपने लक्ष्य को प्राप्त कर सकता है। संस्कृत में भी कहा गया है "उद्यमेन ही सिद्धयंति कार्याणि न मनोरथै:" अर्थात उद्यम करने से ही कार्य की सिद्धि प्राप्त होती है मनोरथ करने से कुछ नहीं होता। प्राचीन काल से लेकर आधुनिक काल तक सभी विद्यार्थी अभ्यास के द्वारा ही सफलता को प्राप्त करते हैं। सतत अभ्यास ही सफलता की कुंजी होता है अतः विद्यार्थी जीवन में अभ्यास निरंतर आवश्यक है।
Answered by
4
Answer:जी हां, निरंतर अभ्यास करने से इच्छित कार्य में सफलता मिलती है
Explanation:
Similar questions