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"समय का सदुपयोग"
समय, सफलता की कुंजी है। समय का चक्र अपनी गति से चल रहा है या यूं कहें कि भाग रहा है। अक्सर इधर-उधर कहीं न कहीं, किसी न किसी से ये सुनने को मिलता है कि क्या करें समय ही नही मिलता। वास्तव में हम निरंतर गतिमान समय के साथ कदम से कदम मिला कर चल ही नही पाते और पिछङ जाते हैं। समय जैसी मूल्यवान संपदा का भंडार होते हुए भी हम हमेशा उसकी कमी का रोना रोते रहते हैं क्योंकि हम इस अमूल्य समय को बिना सोचे समझे खर्च कर देते हैं।
विकास की राह में समय की बरबादी ही सबसे बङा शत्रु है। एक बार हाँथ से निकला हुआ समय कभी वापस नही आता है। हमारा बहुमूल्य वर्तमान क्रमशः भूत बन जाता है जो कभी वापस नही आता। सत्य कहावत है कि बीता हुआ समय और बोले हुए शब्द कभी वापस नही आ सकते।
समय, सफलता की कुंजी है। समय का चक्र अपनी गति से चल रहा है या यूं कहें कि भाग रहा है। अक्सर इधर-उधर कहीं न कहीं, किसी न किसी से ये सुनने को मिलता है कि क्या करें समय ही नही मिलता। वास्तव में हम निरंतर गतिमान समय के साथ कदम से कदम मिला कर चल ही नही पाते और पिछङ जाते हैं। समय जैसी मूल्यवान संपदा का भंडार होते हुए भी हम हमेशा उसकी कमी का रोना रोते रहते हैं क्योंकि हम इस अमूल्य समय को बिना सोचे समझे खर्च कर देते हैं।
विकास की राह में समय की बरबादी ही सबसे बङा शत्रु है। एक बार हाँथ से निकला हुआ समय कभी वापस नही आता है। हमारा बहुमूल्य वर्तमान क्रमशः भूत बन जाता है जो कभी वापस नही आता। सत्य कहावत है कि बीता हुआ समय और बोले हुए शब्द कभी वापस नही आ सकते।
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1 . Samay ka sadupyog par nibandh
वास्तव में समय एक बहुत हीअद्भुत चीज है। समय का न तो कोई आदि है और न ही कोई अंत है। सभी चीजें अपने निश्चित समय पर जन्म लेती, बड़ी होती और फिर ख़ास समय पर नष्ट हो जाती हैं। समय सदैव अपने ढंग से चलता रहता है। समय ही सबका संचालन करता है। समय किसी की प्रतीक्षा नहीं करता चाहे वह राजा हो या रानी। समय का विश्लेषण भी नहीं किया जा सकता है। हम व्यतीत समय व उसकी उपयोगिताओं को समझने के लिए सचेत हैं। हमने समय की रफ़्तार को देखने के लिए घड़ियों का भी निर्माण किया। हमने दिन, दिनांक और सालों को अपने हिसाब से मापने की योजना भी तैयार की परं वास्तव में समय एक अविभाज्य और अमापनीय चीज है।
लोगों ने समय को ही सबसे बड़ा धन माना ? पर समय धन से भी अधिक कीमती है। खोया हुआ धन तो दोबारा पाया जा सकता है परन्तु एक बार जो समय बीत जाय वो वापस लौटकर नहीं आता। समय परिवर्तनशील है। परिवर्तन प्रकृति का नियम है। समय के परिवर्तन से कुछ भी मुक्त नहीं है। मनुष्य का जीवन क्षण-भंगुर होता है और कार्य ज्यादा और कठिन होते हैं। इसलिए हम अपने जीवन का एक भी मिनट बर्बाद नहीं कर सकते हैं। यहां तक की हर सांस, हर सेकेण्ड का भरपूर उपयोग किया जाना चाहिए। हमें विद्यालय सम्बन्धी कार्य, गृहकार्य, आराम करने का समय, मनोरंजन, व्यायाम इन सभी कार्यों को सही ढंग से योजनाबद्ध तरीके से करना चाहिए।
हमें समय बरबाद नहीं करना चाहिए। वास्तव में कोई भी समय की खराब नहीं कर सकता। यह केवल हम ही हैं जी समय द्वारा बेकार कर दिए जाते हैं। समय की व्यवस्था होना बहुत जरुरी है। इतिहास के सभी महान लोगों ने अपने समय का एक-एक क्षण बहुत ही लाभदायक और व्यवस्थित तरीके से प्रयोग किया जिससे इतिहास में उनका नाम अमर हो गया।
हमने महान आविष्कार किये हैं। आश्चर्यजनक चीजों की खोज की, तथा समय की धारा में अपने पदचिन्ह छोड़ दिए। वास्तव में खाली समय का भी सदुपयोग किया जा सकता है। खाली समय का उपयोग कुछ प्राप्त करने की चाहत व स्वस्थ अर्थपूर्ण रुचियों में किया जा सकता है। हम किताबें पढ़कर, संगीत सीखकर या कुछ और जरुरी काम करके समय बिता सकते हैं। बच्चों साथ खेलना, बगीचों में फूल लगाना या अपने खाली समय में कुछ भी करना सीख सकते हैं। समय को न तो रोका जा सकता है और न ही इस पर किसी का जोर चलता है और न ही समय को वापस लाया जा सकता है। समय शाश्वत एवं सर्वज्ञ है। इस प्रकार हमें समय का महत्त्व समझना चाहिए। अगर हम समय का सही उपयोग कर सकें तो समय ही सफलता की वास्तविक कुंजी है। इसकी कोई सीमा नहीं है लेकिन व्यक्तिगत तौर पर यह बहुत सीमित है।
2. Jeevan Mein khelo ka mahatva par nibandh
प्रस्तावना- कहा जाता था – खेलोगे-कूदोगे, होगे ख़राब
पढ़ोगे-लिखोगे, बनोगे नवाब |
आज यह मान्यता बदल चुकी है | खेल-कूद को शिक्षा का अनिवार्य अंग मानकर महत्त्व दिया जाता है | समाज में खिलाडियों को आदर-मान प्राप्त होता है | वे बच्चों के आदर्श बन बन गये हैं | शारीरिक विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले खेल-कूद को जीवन में महत्त्व दिया ही जाना चाहिए |
विस्तार-
खेलों से शारीर स्वस्थ और शक्तिशाली बनता है | रक्त-संचार बढ़ता है | मांसपेशियाँ और हड्डियँ मजबूत बनती है | पसीना निकलने से शारीर से विष-तत्व बहार निकल जाते है | पाचन-क्रिया भी सुचारु हो जाती है | इस तरह शारीर चुस्त और फुर्तीला बना रहता है |
बच्चों के लिए तो खेल भोजन जितना ही महत्त्व रहता है | बच्चे और खेल एक-दुसरे से अभिन्न रूप से जुड़े है | बच्चे की यदि खेल में रूचि न हो तो निश्चय ही यह चिंता का विषय बन जाता है | शारीरिक विकास की तो नींव होती ही है, साथ ही ए बौधिक और भावनात्मक विकास के लिए भी अवश्यक हैं | खेल मन को रमाते हैं | उत्फुल्लता का संचार करके भावनात्मक संतुष्टि प्रदान करता हैं | सामूहिक खेल बौद्धिक विकास में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं | इससे आपसी-तालमेल और सूझ-बुझ विकसित होती है | सारे तनावों को भुलाकर मन जब खेल में रम जाता है तो व्यक्ति जीवन के दुःख-दर्द भूल जाता है | इस प्रकार खेल तनाव-मुक्त कर हमें मानसिक शांति भी प्रदान करता है |
खेलो का एक उद्देश्य संघर्षो से उरने और उनका सामना करने की क्षमता पैदा करना भी है | ‘खेल-भावना ’ जीवन में विपरीत स्थितियों का मुकाबला करने का साहस देती है | विषम परिस्थितियों में भी निराशा और उदासी उसे नही घेरती है | संघर्षपूर्ण और तनावों से घिरा जीवन में खेल टॉनिक का काम करते है | हम सुख-दुःख को संभव से लेना सीखते है |
किताबी-कीड़ा बनने वालों का जीवन असंतुलित रहता है | सहयोग-सहकर का प्रशिक्षन खेलो से प्राप्त होता है | विवेकानंद जी ने कितना सही कहा था—
“ गीता के अभ्यास की आपेक्षा फुटबोल खेलकर तुम स्वर्ग के अधिक निकट पहुच जाओगे कलाई
और भुजाएँ मजबूत होने पर तुम गीता को अधिक अच्छी तरह समझ सकोगे | ”
उपसंहार- स्पष्ट है की खेल कितना हमारे स्वस्थ के लिए अधिक महत्वपूर्ण हैं | स्वस्थ शारीर में ही स्वस्थ मन निवास करता है | स्वस्थ व्यक्ति न केवल अपना जीवन सँवारता है, वह दुनिया से अन्याय, शोषण और हर बुराई से लड़ने की हिम्मत भी प्राप्त करता है |
वास्तव में समय एक बहुत हीअद्भुत चीज है। समय का न तो कोई आदि है और न ही कोई अंत है। सभी चीजें अपने निश्चित समय पर जन्म लेती, बड़ी होती और फिर ख़ास समय पर नष्ट हो जाती हैं। समय सदैव अपने ढंग से चलता रहता है। समय ही सबका संचालन करता है। समय किसी की प्रतीक्षा नहीं करता चाहे वह राजा हो या रानी। समय का विश्लेषण भी नहीं किया जा सकता है। हम व्यतीत समय व उसकी उपयोगिताओं को समझने के लिए सचेत हैं। हमने समय की रफ़्तार को देखने के लिए घड़ियों का भी निर्माण किया। हमने दिन, दिनांक और सालों को अपने हिसाब से मापने की योजना भी तैयार की परं वास्तव में समय एक अविभाज्य और अमापनीय चीज है।
लोगों ने समय को ही सबसे बड़ा धन माना ? पर समय धन से भी अधिक कीमती है। खोया हुआ धन तो दोबारा पाया जा सकता है परन्तु एक बार जो समय बीत जाय वो वापस लौटकर नहीं आता। समय परिवर्तनशील है। परिवर्तन प्रकृति का नियम है। समय के परिवर्तन से कुछ भी मुक्त नहीं है। मनुष्य का जीवन क्षण-भंगुर होता है और कार्य ज्यादा और कठिन होते हैं। इसलिए हम अपने जीवन का एक भी मिनट बर्बाद नहीं कर सकते हैं। यहां तक की हर सांस, हर सेकेण्ड का भरपूर उपयोग किया जाना चाहिए। हमें विद्यालय सम्बन्धी कार्य, गृहकार्य, आराम करने का समय, मनोरंजन, व्यायाम इन सभी कार्यों को सही ढंग से योजनाबद्ध तरीके से करना चाहिए।
हमें समय बरबाद नहीं करना चाहिए। वास्तव में कोई भी समय की खराब नहीं कर सकता। यह केवल हम ही हैं जी समय द्वारा बेकार कर दिए जाते हैं। समय की व्यवस्था होना बहुत जरुरी है। इतिहास के सभी महान लोगों ने अपने समय का एक-एक क्षण बहुत ही लाभदायक और व्यवस्थित तरीके से प्रयोग किया जिससे इतिहास में उनका नाम अमर हो गया।
हमने महान आविष्कार किये हैं। आश्चर्यजनक चीजों की खोज की, तथा समय की धारा में अपने पदचिन्ह छोड़ दिए। वास्तव में खाली समय का भी सदुपयोग किया जा सकता है। खाली समय का उपयोग कुछ प्राप्त करने की चाहत व स्वस्थ अर्थपूर्ण रुचियों में किया जा सकता है। हम किताबें पढ़कर, संगीत सीखकर या कुछ और जरुरी काम करके समय बिता सकते हैं। बच्चों साथ खेलना, बगीचों में फूल लगाना या अपने खाली समय में कुछ भी करना सीख सकते हैं। समय को न तो रोका जा सकता है और न ही इस पर किसी का जोर चलता है और न ही समय को वापस लाया जा सकता है। समय शाश्वत एवं सर्वज्ञ है। इस प्रकार हमें समय का महत्त्व समझना चाहिए। अगर हम समय का सही उपयोग कर सकें तो समय ही सफलता की वास्तविक कुंजी है। इसकी कोई सीमा नहीं है लेकिन व्यक्तिगत तौर पर यह बहुत सीमित है।
2. Jeevan Mein khelo ka mahatva par nibandh
प्रस्तावना- कहा जाता था – खेलोगे-कूदोगे, होगे ख़राब
पढ़ोगे-लिखोगे, बनोगे नवाब |
आज यह मान्यता बदल चुकी है | खेल-कूद को शिक्षा का अनिवार्य अंग मानकर महत्त्व दिया जाता है | समाज में खिलाडियों को आदर-मान प्राप्त होता है | वे बच्चों के आदर्श बन बन गये हैं | शारीरिक विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले खेल-कूद को जीवन में महत्त्व दिया ही जाना चाहिए |
विस्तार-
खेलों से शारीर स्वस्थ और शक्तिशाली बनता है | रक्त-संचार बढ़ता है | मांसपेशियाँ और हड्डियँ मजबूत बनती है | पसीना निकलने से शारीर से विष-तत्व बहार निकल जाते है | पाचन-क्रिया भी सुचारु हो जाती है | इस तरह शारीर चुस्त और फुर्तीला बना रहता है |
बच्चों के लिए तो खेल भोजन जितना ही महत्त्व रहता है | बच्चे और खेल एक-दुसरे से अभिन्न रूप से जुड़े है | बच्चे की यदि खेल में रूचि न हो तो निश्चय ही यह चिंता का विषय बन जाता है | शारीरिक विकास की तो नींव होती ही है, साथ ही ए बौधिक और भावनात्मक विकास के लिए भी अवश्यक हैं | खेल मन को रमाते हैं | उत्फुल्लता का संचार करके भावनात्मक संतुष्टि प्रदान करता हैं | सामूहिक खेल बौद्धिक विकास में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं | इससे आपसी-तालमेल और सूझ-बुझ विकसित होती है | सारे तनावों को भुलाकर मन जब खेल में रम जाता है तो व्यक्ति जीवन के दुःख-दर्द भूल जाता है | इस प्रकार खेल तनाव-मुक्त कर हमें मानसिक शांति भी प्रदान करता है |
खेलो का एक उद्देश्य संघर्षो से उरने और उनका सामना करने की क्षमता पैदा करना भी है | ‘खेल-भावना ’ जीवन में विपरीत स्थितियों का मुकाबला करने का साहस देती है | विषम परिस्थितियों में भी निराशा और उदासी उसे नही घेरती है | संघर्षपूर्ण और तनावों से घिरा जीवन में खेल टॉनिक का काम करते है | हम सुख-दुःख को संभव से लेना सीखते है |
किताबी-कीड़ा बनने वालों का जीवन असंतुलित रहता है | सहयोग-सहकर का प्रशिक्षन खेलो से प्राप्त होता है | विवेकानंद जी ने कितना सही कहा था—
“ गीता के अभ्यास की आपेक्षा फुटबोल खेलकर तुम स्वर्ग के अधिक निकट पहुच जाओगे कलाई
और भुजाएँ मजबूत होने पर तुम गीता को अधिक अच्छी तरह समझ सकोगे | ”
उपसंहार- स्पष्ट है की खेल कितना हमारे स्वस्थ के लिए अधिक महत्वपूर्ण हैं | स्वस्थ शारीर में ही स्वस्थ मन निवास करता है | स्वस्थ व्यक्ति न केवल अपना जीवन सँवारता है, वह दुनिया से अन्याय, शोषण और हर बुराई से लड़ने की हिम्मत भी प्राप्त करता है |
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