Hindi, asked by hemudevdas5298, 1 year ago

I want essay on sab din hot na ek saman in hindi

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Answered by AbsorbingMan
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सब दिन एक समान नहीं होतेहैं। किसी दिन सुख मिलता है और किसी दिन दुःख। जीवन हमेशा एक जैसा नहीं होता है।सबके दिन बदलते हैं। कहा जाता है कि दुःख के बाद सुख के दिन अवश्य आते हैं। दुःखके दिनों में लोग यह सोचकर धैर्य रखते हैं की सुख आने वाला है। समय बदलता रहता है। दिन और रात दोनों होते हैं। जिस प्रकार सवेराहमेशा नहीं रहता वैसे ही रात भी हमेशा नहीं रहती। राजा हो या रंक, सबके दिन बदलते हैं।

अनेक कहानियाँ हैं जिनमें हम देखते हैं कि राजा सब कुछ खो देता है और गरीब हो जाता है या एक गरीब आदमी मेहनत करके या भाग्य से बहुत अमीर बन जाता है।


 इससे हमें यह शिक्षा मिलती है कि हमें सुख और दुःख दोनों में समान भाव रखना चाहिए। सुख के समय घमंडी नहीं बनना चाहिए या बुरा व्यवहार नहीं करना चाहिए। दुःख के समय निराश नहीं होना चाहिए और हौंसला रखना चाहिए


Answered by omkarzite840
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समय परिवर्तनशील है । समय के अनुसार प्रकृति में परिवर्तन आते हैं । इसी प्रकार मनुष्य के जीवन में कभी-भी समय एक-सा नहीं रहता है । कभी वह सुख का आनन्द उठाता है तो कभी दु:ख व अवसादों से घिरा होता है । जन्म-मृत्यु, उत्थान-पतन, उदय-अस्त, आगमन-प्रस्थान आदि सभी परिवर्तन को ही व्यक्त करते हैं ।

हमारे जीवन काल में समय-परिवर्तन अनेक रूपों में दिखाई पड़ता है । यह समय परिवर्तन अथवा समय-चक्र की ही देन है कि राजा रंक में बदल जाता है और रंक राजा में । सत्यवादी राजा हरिश्चंद्र की प्रसिद्‌ध कहानी इसका प्रमाण है । जब उनकी परीक्षा ली गई तब वे सत्य की कसौटी पर खरे उतरे । उन्होंने सारी विपदाओं को झेला पर सत्य का दामन न छोड़ा ।

जहाँ कभी भयावह जंगल हुआ करते थे आज उन्हें काटकर महानगरों में बदल दिया गया । वे पर्वत जिन्हें लाँघना असंभव था उन्हें काटकर उनके मध्य से सड़कें निकाल दी गई । अथाह सागर जिसके गर्त में अनेकों भेद छिपे थे मनुष्य ने उनमें गोता लगाकर उनका भेद जान लिया ।

अंतरिक्ष में विचरण करता हुआ मनुष्य, चंद्रमा की उसकी यात्रा, आकाश पर उसकी उड़ान यह सभी समय की ही तो देन है । समय के साथ मनुष्य ने वह सब कुछ कर दिखाया है जिसकी कभी परिकल्पना भी नहीं की जा सकती थी ।

सभी कुछ समय के साथ गतिमान व परिवर्तनशील है । यह किसी कवि द्‌वारा सत्य ही कहा गया है कि ‘सब दिन जात न एक समान’ । यह समय की ही तो विडंबना है कि रावण जैसे पराक्रमी व बलशाली व्यक्ति का अभिमान स्थिर नहीं रह सका । अत: व्यक्ति को कभी भी घमंड नहीं करना चाहिए ।

इतिहास ऐसे अनगिनत तथ्यों और घटनाओं से परिपूरित है जिनकी सामान्य परिस्थितियों में मनुष्य कल्पना भी नहीं कर सकता है ।

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