Hindi, asked by Anipoincvisav, 1 year ago

i want hindi essay on- if there were no exams in hindi language PLEASE HELP ME AS SOON AS POSSIBLE

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Answered by Chirpy
165

आजकल परीक्षा को योग्यता जांचने का तरीका समझा जाता है। अंकों को व्यक्ति की बुद्धिमता का मापदंड माना जाने लगा है। परीक्षा में उत्तीर्ण होना और अच्छे अंक पाना व्यक्ति की सफलता का सूचक है। इसलिए जो विद्यार्थी पुस्तक पढ़कर उत्तीर्ण हो जाते हैं उनको कक्षा में श्रेष्ठ माना जाता है।

     आज परीक्षा विद्यार्थियों के लिए भय का कारण बन गयी है। तनाव पूर्ण जीवन के कारण उनके मस्तिष्क पर अधिक भार हो गया है। जिसके कारण अनेक विद्यार्थी परीक्षा में इतने अच्छे अंक नहीं प्राप्त करते हैं। इसका अर्थ यह नहीं है कि वे योग्य नहीं हैं।

     यदि परीक्षा न होती और यह समझ लिया जाता कि शिक्षा सिर्फ पुस्तकों से संबंधित नहीं है। वह केवल पुस्तकों के ज्ञान तक सीमित नहीं है। प्रतिदिन के जीवन के लिए सामान्य ज्ञान आवश्यक है तो ज्ञान को आचरण में लाने वाला अधिक शिक्षित माना जाता।

     योग्यता मापने के लिए विद्यार्थी के अन्य गुणों को भी देखा जाता। कला में निपुण, खेल कूद में आगे, भाषण देने, नाट्य कला, गायन आदि में कुशल विद्यार्थियों को भी अधिक योग्य माना जाता। जो विद्यार्थी तकनीकी या अन्य काम सहजता से सीख लेते हैं उनकी योग्यता को भी उपयुक्त मान्य दिया जाता और नौकरी के लिए सिर्फ उनके अंक नहीं बल्कि उनकी कार्य कुशलता को भी देखा जाता।

     इस प्रकार विद्यार्थियों का जीवन तनाव रहित हो जाता और वे अपनी पूर्ण कुशलता को पेश करते। उन्हें परीक्षा का भय नहीं होता और उनके वास्तविक गुणों को पूर्ण रूप से उभरने का अवसर मिलता।  





Answered by Ashoklohar123
34

आजकल परीक्षा को योग्यता जांचने का तरीका समझा जाता है। अंकों को व्यक्ति की

बुद्धिमता का मापदंड माना जाने लगा है। परीक्षा में उत्तीर्ण होना और अच्छे अंक

पाना व्यक्ति की सफलता का सूचक है। इसलिए जो विद्यार्थी पुस्तक पढ़कर उत्तीर्ण हो

जाते हैं उनको कक्षा में श्रेष्ठ माना जाता है।


    आज परीक्षा विद्यार्थियों के लिए भय का कारण बन गयी है। तनाव पूर्ण

जीवन के कारण उनके मस्तिष्क पर अधिक भार हो गया है। जिसके कारण अनेक विद्यार्थी

परीक्षा में इतने अच्छे अंक नहीं प्राप्त करते हैं। इसका अर्थ यह नहीं है कि वे

योग्य नहीं हैं।


    यदि परीक्षा न होती और यह समझ लिया जाता कि शिक्षा सिर्फ पुस्तकों

से संबंधित नहीं है। वह केवल पुस्तकों के ज्ञान तक सीमित नहीं है। प्रतिदिन के

जीवन के लिए सामान्य ज्ञान आवश्यक है तो ज्ञान को आचरण में लाने वाला अधिक शिक्षित

माना जाता।


    योग्यता मापने के लिए विद्यार्थी के अन्य गुणों को भी देखा जाता।

कला में निपुण, खेल कूद में आगे, भाषण देने, नाट्य कला, गायन आदि में कुशल

विद्यार्थियों को भी अधिक योग्य माना जाता। जो विद्यार्थी तकनीकी या अन्य काम

सहजता से सीख लेते हैं उनकी योग्यता को भी उपयुक्त मान्य दिया जाता और नौकरी के

लिए सिर्फ उनके अंक नहीं बल्कि उनकी कार्य कुशलता को भी देखा जाता।


    इस प्रकार विद्यार्थियों का जीवन तनाव रहित हो जाता और वे अपनी

पूर्ण कुशलता को पेश करते। उन्हें परीक्षा का भय नहीं होता और उनके वास्तविक गुणों

को पूर्ण रूप से उभरने का अवसर मिलता।


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