Hindi, asked by Rupesh62, 1 year ago

I want hindi essay on khelo ka mahatva in words

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Answered by Kshitijxingh
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”पढ़ोगे लिखोगे बनोगे नवाब, खेलोगे कूदोगे होओगे खराब”- यह कहावत आज निराधार हो गई है । माता-पिता आज जान गए है कि बच्चों के मानसिक विकास के साथ शारीरिक विकास भी होना चाहिए ।

व्यक्ति का सम्पूर्ण जीवन तन और मन रूपी गाड़ी से चलता है । व्यायाम, खेल शारीरिक विकास करते हैं तथा शिक्षा, चिन्तन-मनन से व्यक्ति का मानसिक विकास होता है । खेल के अनेक रूप हैं- कुछ खेल बच्चों के लिए होते हैं, कुछ बड़ों के लिए, कुछ बड़ों के लिए, कुछ वृद्धों के लिए होते हैं । कुछ खेलों को खेलने के लिए विशाल मैदानों की आवश्यकता नहीं होती ।

लेकिन उन में मनोरंजन और बौद्धिक विकास अवश्य होते हैं जैसे- कैरम बोर्ड, शतरंज, सांप-सीढ़ी, लुडो, ताश आदि । ‘स्वस्थ शरीर में स्वस्थ मस्तिष्क का विकास होता है ।’ जो बच्चे केवल पढ़ना ही पसन्द करते हैं खेलना नहीं, देखा जाता है कि वे चिड़चिड़े आलसी या डरपोक हो जाते हैं, यहां तक कि अपनी रक्षा करने में असमर्थ रहते हैं ।

जो पढ़ने के साथ-साथ खेलों में भी भाग लेते हैं वे चुस्त और आलस्य रहित होते हैं । उनकी हड्‌डियां मजबूत और चेहरा कान्तिमय हो जाता है, पाचन-शक्ति ठीक रहती है, नेत्रों की ज्योति बढ़ जाती है, शरीर वज्र की तरह हो जाता है । छात्र जीवन में केवल खेलते या पढ़ते ही नहीं रहना चाहिए अपितु उद्देश्य होना चाहिए खेलने के समय खेलना और पढ़ने के समय पढ़ना- ”Work while Your you work, play while you play”.

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Answered by KartikSharma13
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खेलों का जीवन में विशेष महत्व है, विशेषकर विद्यार्थी – जीवन में। स्वास्थ्य के लिए खेलना बहुत आवश्यक है। नियमित रूप से खेल में भाग लेने वाला फ़ुर्तिला और चुस्त रहता है तथा उसके मुख पर प्रसन्नता छाई रहती है।

खेल मनोरंगन का मुख्य साधन हैं क्योंकि इनसे खेलने वालों और देखने वालों का भी मनोरंजन होता है। इनसे हममें अनुशासन की भावना पैदा होती है। खिलाड़ी को नियमों का पालन करने का अभयान हो जाता है। अच्छे खिलाड़ी न तो विजयी होने पर घमण्ड करते हैं और न ही हारने पर लड़ने पर उतारू होते हैं।

विदयार्थी – जीवन में खेल के महत्व को ध्यान में रखकर स्कूलों में खेल अनिवार्य कर दिए गए हैं। सभी विदयालयों में खेलों का प्रशिक्षण दिया जाता है। हमारे विद्यालय में भी हॉकी, क्रिकेट, वॉलीबॉल और कबड्ड्डी का प्रशिक्षण विशेष रूप से दिया जाता है।

मानव – जीवन की सफलता के लिए तीन शक्तियों के विकास की आवश्यकता है – मानसिक, आत्मिक , और शारीरिक। यदि इनमें मानसिक शक्ति के विकास का अभाव होगा तो मनुष्य की बुद्धि सूझ – बुझ से कार्य करने में असमर्थ रहेगी। आत्मिक विकास के उभाव में मानव निरा पशु होगा और शारीरिक शक्ति के अभाव में उसकी काया जीर्ण, व्याधिग्रस्त होगी।

यदि हम चाहते हैं कि हमारा शरीर प्रसन्न, चुस्त और फ़ुर्तिला रहे तो शारीरिक शक्ति का विकास अनिवार्य है। जब शरीर स्वस्त होगा तो मस्तिष्क स्वयं स्वस्थ रहेगा। एक कहावत है कि ” स्वस्थ शरीर में ही स्वस्थ मस्तिष्क होता है। ” जब मानसिक शक्ति स्वस्थ और विवेकपूर्व होगी तब आत्मिक उन्नति हो जाएगी। इस प्रकार शारीरिक उन्नति पर ही मानसिक और आत्मिक उन्नति निर्भर है, जो मानव – जीवन की सफलता का मूल कारण है।

इस प्रकार खेलों से मानव में उत्साह, साहस, धेर्य, स्फूर्ति, अनुशासन की भावना एवं जीवन – संघर्ष में हँसते – हँसते जूझने की शक्ति में वर्दिध होती है। अत: जीवन को सुखी, हष्ट – पुष्ट, सरस तथा शक्तिशाली बनाने के लिए खेल – कूद अनिवार्य हैं।

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