Hindi, asked by man7S6onikreafnk, 1 year ago

i want poem on atithi devo bhava in hindi

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Answered by aliamehra386
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काजल की कोठरी में सवेरे ही कब हुए?
तुम एक दिया ले कर
उम्मीद के सूरज ही से आँख मिलाती थी
तोता जिसे कि भैरवी कंठस्थ रही है
ले कर तुम्हारा नाम पेटी बजा रहा था
लगता तो था कि लंगड़ी सुबह
घिसट-घिसट के आयेगी
तसलीमा लायेगी

लेकिन यूं कटोरा भर सिन्दूर पी कर
बहुत सी आँखें फोड़ दी तुमने
"द्विखंडिता” के मुखपृष्ठ पर
लिख कर लाल सलाम
तूफान के पहले सा चुप कोहराम
तुम्हारी आँखों में आखें डाल मुस्कुराता है
कि सुविधाभोगी लेखकों की जमात में स्वागत है
सच के कालीन पर चल कर
बिकाऊ लिखने को बहुत कुछ है।

कोलकाता को
वैसे भी शरणार्थी स्वागत की आदत है
तुमने तरीका सही चुना बाँग्लादेश-निष्कासिता
मशाल से अपना घर जलाया
मशाल ले कर पड़ोस फूँका
फिर जलते हाथ पानी में डोब लिये।

गोबर हो गयी हैं किताबें तुम्हारी
पुस्तकालय लीपने के काम आयेंगी
भैंस के आगे बीन बजायेंगी
आओ काजू-कुरमुरे खाओ
सेमीनारों में मुस्काओ
अब तो फ़तवा देने वालों ने भी
घोषणा कर दी है कि तुम “आज़ाद हो”
जहाँ चाहे रह सकती हो उस देश में
जो कुछ के बाप का है
कुछ की जेब में है
और कुछ उनका है
जिनके मुखौटे
तुम्हारी राह में फूल बिछाते
मुस्कुरा रहे हैं - “अतिथि देवो भवः”
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