i want the summary of kar chale ham fidha
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‘कर चले हम फिदा’ गीत कैफ़ी आज़मी द्वारा रचित है। यह गीत भारत-चीन के बीच हुए युद्ध की पृष्ठभूमि पर बनी फ़िल्म ‘हकीकत’ के लिए लिखा गया था। इस गीत में हिमालय क्षेत्रा में लड़े गए भारत-चीन युद्ध का अंकन किया गया है। सैनिक मरणासन्न होने तक अपने देश की रक्षा करता है। मरते समय वह अपने देश की रक्षा का भार अपने साथियों के कंधे पर छोड़कर चला जाता है। उसकी साँस थमने लगी और नसें भी ठंडी पड़ती गई अर्थात वह मरणासन्न दशा में पहुँच गया, पिफर भी उसके कदम नहीं रुके। वह स्वतंत्राता की बलिवेदी पर निरंतर आगे बढ़ता गया। सैनिकों ने अपने शीश स्वतंत्राता की बलिवेदी पर चढ़ा दिए। परंतु हिमालय पर्वत के शीश को उन्होंने झुकने नहीं दिया। मरते दम तक उनका बाँकपन कायम रहता है। उनके अनुसार जिंदा रहने के बहुत-से अवसर मिलते हैं, पर देश के लिए कुर्बानी करने के अवसर बार-बार नहीं मिलते। जवानी की सार्थकता इसमें है कि वह अपना खून देश के लिए कुर्बान कर दे। धरती माता दुल्हन के समान है। हमें उसकी माँग खून से भरनी है। सैनिक मरने से पहले कहता है कि यह कुर्बानी देने का क्रम निरंतर चलता रहेगा। इस कुर्बानी के बाद जीत का जश्न मनाने का अवसर मिलेगा। जिदगी मौत का वरण कर रही है। अब तुम अपने शीश पर कफ़न बाँधकर देश पर न्योछावर होने के लिए तैयार हो जाओ। तुम अपने खून से लक्ष्मण रेखा की तरह लकीर खींच दो, ताकि कोई रावण रूपी शत्रु इस तरफ न आ पाए। यदि भारत माता की तरफ कोई हाथ उठने लगे तो उस हाथ को तोड़ दो। भारत माता, सीता माता के समान पवित्र है। तुम स्वयं को इतना सामथ्र्यवान बना लो कि कोई भी शत्रु इस पवित्र दामन को न छू सके। तुम्हें ही राम और लक्ष्मण की भूमिका निभानी है और देश की बलिवेदी पर कुर्बानी देनी है।