Hindi, asked by bibekkumar6709, 1 year ago

i want the summary of kar chale ham fidha

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Answered by udit14jain
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कर चले हम फ़िदा' कविता देश के वीर व शहीद सैनिकों को समर्पित कविता है। कवि इस कविता के माध्यम से देश के लोगों को इन शहीदों के ह्दय की पीड़ा व चिन्ता को दर्शाने का प्रयास करते हैं। कवि कहते हैं की शहीद सैनिक चाहता है की हमने अपने कर्तव्य का निर्वाह करते हुए देश की सीमाओं की रक्षा अपने प्राणों का बलिदान देकर की है। अब हे मेरे देश के लोगों इस सुरक्षित देश को हमने तुम्हारे हाथों पर सौंप दिया है। इसकी रक्षा का भार अब तुम्हारे सर पर है। हमने सीमा पर रहते हुए विभिन्न तरह की कठिनाइयों को झेला है परन्तु कभी उन कठिनाइयों से हार नहीं मानी। हमारे कारण कभी हमारे देश का सर शर्म से नहीं झुका है। अब तुम्हारी बारी है। तुम्हें अपने देश की रक्षा उसी प्रकार करनी है जैसे राम व लक्ष्मण ने सीता के मान-सम्मान की रक्षा रावण के विरूद्ध खड़े होकर की थी। वह कहते हैं की देश की रक्षा करने का सौभाग्य कभी-कभी आता है, उसे कभी अपने हाथ से नहीं जाने देना। देश पर अपने प्राणों को न्यौछावर करना तो देश के वीरों का काम है।
Answered by 11sanjam11
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‘कर चले हम फिदा’ गीत कैफ़ी आज़मी द्वारा रचित है। यह गीत भारत-चीन के बीच हुए युद्ध की पृष्ठभूमि पर बनी फ़िल्म ‘हकीकत’ के लिए लिखा गया था। इस गीत में हिमालय क्षेत्रा में लड़े गए भारत-चीन युद्ध का अंकन किया गया है। सैनिक मरणासन्न होने तक अपने देश की रक्षा करता है। मरते समय वह अपने देश की रक्षा का भार अपने साथियों के कंधे पर छोड़कर चला जाता है। उसकी साँस थमने लगी और नसें भी ठंडी पड़ती गई अर्थात वह मरणासन्न दशा में पहुँच गया, पिफर भी उसके कदम नहीं रुके। वह स्वतंत्राता की बलिवेदी पर निरंतर आगे बढ़ता गया। सैनिकों ने अपने शीश स्वतंत्राता की बलिवेदी पर चढ़ा दिए। परंतु हिमालय पर्वत के शीश को उन्होंने झुकने नहीं दिया। मरते दम तक उनका बाँकपन कायम रहता है। उनके अनुसार जिंदा रहने के बहुत-से अवसर मिलते हैं, पर देश के लिए कुर्बानी करने के अवसर बार-बार नहीं मिलते। जवानी की सार्थकता इसमें है कि वह अपना खून देश के लिए कुर्बान कर दे। धरती माता दुल्हन के समान है। हमें उसकी माँग खून से भरनी है। सैनिक मरने से पहले कहता है कि यह कुर्बानी देने का क्रम निरंतर चलता रहेगा।  इस कुर्बानी के बाद जीत का जश्न मनाने का अवसर मिलेगा। जिदगी मौत का वरण कर रही है। अब तुम अपने शीश पर कफ़न बाँधकर देश पर न्योछावर होने के लिए तैयार हो जाओ। तुम अपने खून से लक्ष्मण रेखा की तरह लकीर खींच दो, ताकि कोई रावण रूपी शत्रु इस तरफ न आ पाए। यदि भारत माता की तरफ कोई हाथ उठने लगे तो उस हाथ को तोड़ दो। भारत माता, सीता माता के समान पवित्र है। तुम स्वयं को इतना सामथ्र्यवान बना लो कि कोई भी शत्रु इस पवित्र दामन को न छू सके। तुम्हें ही राम और लक्ष्मण की भूमिका निभानी है और देश की बलिवेदी पर कुर्बानी देनी है।

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