I want very very very. Funny poem in hindi
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बदमाश बहुत है मेरी नन्ही सी जान
सुबह उठकर हर सबेरे करती है
धमा-चौकड़ी चौकड़ी।
कभी दादी का चश्मा पहनकर दादा जी को
फटकारी है तो
कभी दादा जी की नकल उतारकर हम सबको बहुत हंसाती है।
ऐसी ही है मेरी गुड़िया रानी
कभी डांट पड़ने पर मुंह फुलाए कहीं छूट जाती है
चाकलेट का नाम सुनकर वापस बाहर आ जाती है।
सुबह उठकर हर सबेरे करती है
धमा-चौकड़ी चौकड़ी।
कभी दादी का चश्मा पहनकर दादा जी को
फटकारी है तो
कभी दादा जी की नकल उतारकर हम सबको बहुत हंसाती है।
ऐसी ही है मेरी गुड़िया रानी
कभी डांट पड़ने पर मुंह फुलाए कहीं छूट जाती है
चाकलेट का नाम सुनकर वापस बाहर आ जाती है।
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