Hindi, asked by japneet7510, 1 year ago

i want vigyapan on madirapan

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Answered by Anonymous
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भूमिका, मदिरापान के दुष्परिणाम, पक्ष में तर्क, मदिरापान का विरोध 


मदिरापान सब व्यसनों की जड़ है। जब मदिरा भीतर जाती है तो हमारे सारे संस्कार, विचार, विवेक, सदभाव बाहर निकल जाते हैं। किसी ने सच ही कहा है की जहां शैतान स्वयं नहीं पहुँच पाता, वहां मदिरा को भेज देता है यानी मदिरा आदमी को शैतान बना देती है। मदिरा का सबसे पहला हमला इसको पीने वाले पर होता है। उसके फेफड़े, गुर्दे, लीवर तथा मस्तिष्क शिथिल पद जाते हैं जिससे उसे तरह-तरह की बीमारियां घेर लेती हैं। शराब पीने से घर में आर्थिक कठिनाइयां उत्पन्न होती है जिससे घर में क्लेश रहता है। पत्नी व बच्चो को भूखों रहने की नौबत आ जाती है। शराब पीने से व्यक्ति सही और गलत में फर्क नहीं कर पाता है। अनेक अपराध शराब के नशे में ही किये जाते हैं। मदिरापान करने वाले अपने पक्ष में यह तर्क देते हैं की इससे थकान दूर होती है। तनाव से मुक्ति मिलती है,ध्यान केंद्रित रहता है और काम करने में मन भी लगता है। परन्तु यह सभी बातें झूठी और तथ्यहीन हैं। जिस शराब को पीने से हाथ-पैर लड़खड़ाते हों भला उससे ध्यान कैसे केंद्रित रह सकता है ? मदिरापान केवल और केवल आत्म-नियंत्रण से रोका जा सकता है। 

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