Hindi, asked by Anonymous, 1 year ago

I will mark you brainliest..... Shikshak Diwas ke karyakram ko Lekar Vidyarthi ke beech Baat cheet samvad?

Answers

Answered by Muskan27022004
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Raj : Are Raam tum is shikshak divas ke karyakram me bhaag le rahe ho kya ?
Ram : Ha ha kyu nahi !
Raj : Tum kya kar rahe ho ? Main to Nritya (Dance) main bhaag le Raha hu .
Ram : Acha ! main gana gane vala hu !
Raj : Kya kuch alag hoga is shikshak divas ?
Ram : Ha is Baar khane ka bhi ayojan hai .
Raj : Acha ! Is Baar to bada Maja aega ! chalo chalta hu, Abhi mujhe or abhyas karna hai Apne nritya ke liye !
Ram : Alvida !

Anonymous: only you have given answer
Muskan27022004: so ?
Anonymous: how I will mark
Muskan27022004: i didn't Understand ? should there be more than one ? actually I am new here
Anonymous: yaa
Muskan27022004: ok np !
Anonymous: yaar ek our question hai
Muskan27022004: kya ?
Anonymous: mere dp ko click Karo aur question me padho
Anonymous: thank u so much
Answered by rahul7415
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conversation between pm modi and students on the occasion of teacher's Day

प्रश्‍न: : सर, मैं आपसे यह प्रश्‍न करना चाहती हूं कि आपके जीवन में किसका सबसे अधिक योगदान रहा है? आपके अनुभवों का या आपके शिक्षकों का? 

प्रधानमंत्री जी : ये बड़ा ट्रिकी सवाल है। क्‍योंकि हमें पढ़ाया जाता है कि अनुभव ही सबसे बड़ा शिक्षक है। लेकिन मैं उसको जरा अलग तरीके से समझाता हूं कि अगर आपको सही शिक्षा नहीं मिली है तो अनुभव भी आपको बर्बाद करने का कारण भी बन सकता है या आगे बढ़ने का अवसर भी बन सकता है अभी इसलिए अनुभव उत्‍तम शिक्षक है। यह स्‍वीकारने के बाद भी मैं यह मानता हूं आपकी शिक्षाओं, संस्‍कार उस पर डिपेंड करेगा कि आपका अनुभव कैसे काम आता है। जैसे, मान लीजिए कोई पिक पोकेटर, आप बस में जा रहे हो और जेब काट लिया और पैसे ले गया, ये आपका अनुभव होगा। अगर आपकी शिक्षा सही नहीं है संस्‍कार सही नहीं है आपको विचार ये आयेगा कि अच्‍छा बिना मेहनत वह तो रुपया कमा लिया चलिए मैं भी उस रास्‍ते पर चल पडूं, अगर आपकी शिक्षा अच्‍छी है, संस्‍कार अच्‍छी है, सोच अच्‍छी है तो विचार आयेगा कि मैं अलर्ट नहीं रहा, मैंने सही ठिकाने पर पैसे रखे नहीं थे, मुझे जितना जागृत रहना चाहिए था नहीं रख रहा था और उसके कारण मेरे पैसे चले गये तो वो एक ही चीज़ से दो अनुभव लिये जा सकते हैं लेकिन, अनुभव लेने का आधार वो बनता है कि आपकी शिक्षा कैसी हुई है और इसीलिए मेरे जीवन में शिक्षा का भी, शिक्षकों का भी संस्‍कार का उतना ही महत्‍व रहा है जितना मैं अनुभव में से अच्‍छी-अच्‍छी चीजें पकड़ने लग गया। तो मेरे लिए दोनों का उपयोग है। 

प्रश्‍न: : अभी-अभी आप जापान गये और आपने वहां एक विद्यालय को भी देखा सर आपके हमारे यहां और जापान की शिक्षा में क्‍या अंतर नज़र आया ? 

प्रधानमंत्री जी : मैं इस बार जापान गया तो मैंने सामने से यह कहा था कि वहां कि शिक्षा प्रणाली को जरा समझना चाहता हूं, मैं देखना चाहता हूं। वहां मैं एक प्राइमरी स्‍कूल में भी गया था और वहां मैं एक वीमेन्‍स यूनिवर्सिटी में भी गया था। प्राइमरी स्‍कूल में जाकर मेरी कोशिश यह थी कि उसकी शिक्षा प्रणाली को समझना उनके यहां टीचिंग ना के बराबर है। आपको लगता होगा कि ऐसी कैसी स्‍कूल जहां टीचिंग ही नहीं है लेकिन वहां हन्‍ड्रेड पर्सेन्‍ट लर्निंग है। वहां की सारी कार्य शैली ऐसे है कि बालक को सीखने का अवसर मिलता है और खुद उसमें कुछ ना कुछ करता है। वो पार्ट ऑफ द प्रोसेस होता है और ये उनका बड़ा आग्रह है और दूसरा मैंने देखा कि हर बालक गजब की डिसिप्लिन्‍ड है। मां-बाप स्‍कूल छोड़ने नहीं आते थे। नियम है कि मां-बाप स्‍कूल छोड़ने नहीं आयेंगे। पद्धति ये है कि हर 25 कदम पर पेरेन्‍ट्स खड़े रहते हैं और उस यूनिफार्म वाले बालक वहां से निकलते हैं तो एक पेरेन्‍ट उस बालक को 25 कदम दूसरे पेरेन्‍ट की निगरानी में हेन्‍डओवर करते हैं। इसके कारण क्‍या हुआ है कि सभी पेरेन्‍ट्स सब बच्‍चों के साथ समान ट्रीटमेन्‍ट देते हैं। अपने ही बच्‍चों को सम्‍भाल कर लाना, बढि़या गाड़ी में लाकर छोड़ देना, ऐसा नहीं है, हरेक बच्‍चों को अपने स्‍कूल पैदल जाते समय पेरेन्‍ट्स उनको देखते हैं। ये तो मां-बाप का सभी बच्‍चों के प्रति एक समान भाव का संस्‍कार की बड़ी गजब व्‍यवस्‍था, मेरे मन को छू गई है। तो ऐसी-ऐसी बहुत चीजें मैंने आब्‍जर्व की हैं। मुझे काफी अच्छी लगी है, टेक्‍नोलॉजी का भरपूर उपयोग हो रहा है, छोटे-छोटे बालक भी टेक्‍नोलॉजी क माध्‍यम से चीजों को जानने समझने की कोशिश करते हैं। दो चीजों पर ज्‍यादा मैंने देखा है कि साइन्टिफिक टेम्‍परामेंट, इस पर उनका काफी यानि व्‍यवस्‍था ही ऐसी है कि इस प्रकार से सोचता है डिसिप्लिन बहुत सहज है, स्वच्छता भाव बहुत सहज है और आदर करना, वो थोड़े झुकते हैं आदर करने के लिए जैसे हम नमस्‍ते करते है। बड़ा फर्क, ऐसे हरेक के व्‍यवहार में नज़र आता है, तो यह संस्‍कारों के कारण होता है। तो हमारे में और उनमें तो काफी बड़ा फर्क नज़र आया मुझे। 

प्रश्‍न: : If you are a teacher, whom you would concentrate on, an intelligent student, who is lazy or an average student, who is very hard working? 

सचमुच में अगर टीचर के रूप में मैं देखूं, तो कोई डिस्क्रिमनेशन नहीं होना चाहिए। सभी बालक, अगर 30 बालकों का क्‍लास है, तीसों को अपना मानना चाहिए। और टीचर का काम ये है कि उसके अंदर, हरेक व्‍यक्ति में, हरेक व्‍यक्ति में कोई न कोई तो गुण होता ही होता है। ऐसा नहीं होता है कि एक में सब गुणों का भंडार होता है, एक के अंदर सब अवगुणों का भंडार होता है। जो गुणवान दिखता है, उसमें भी कुछ अवगुण होते हैं और जो अवगुण वाला व्‍यक्ति दिखता है, उसके अंदर भी कुछ गुण दिखते हैं। टीचर्स का काम होता है, उसकी अच्‍छाईयों को समझना। उसको तराशना। उसके जीवन को, जो भी हैं उसको आगे ले जाने का अवसर देना। अगर टीचर ये कहे कि ये चार यार बड़े ब्रिलियेंट है, उस पर ध्‍यान दूं, वे आगे निकल जाएंगे। मेरा नाम हो जाएगा। ये छोड़ो यार, ये तो बेकार है। उसके मां बाप देख लेंगे। टीचर ऐसा नहीं कर सकता है जैसे मां अपने घर में 3 बच्‍चे हों, कम-अधिक ताकत वाले बच्‍चे हों, लेकिन मां के लिए तीनों बच्‍चे बराबर होते हैं, टीचर के लिए भी कोई आगे, कोई पीछे, कोई ऊपर, कोई नीचे नहीं होता। सबके सब अपने होते हैं। हरेक के गुणों को जानना चाहिए और जब 30 स्‍टूडेंट के क्‍लास को टीचर पढ़ाता है तब 30 के bulk को नहीं पढ़ाता है। उसको address उन तीसों को individually करना होता है। बताते समय भी उसको ध्‍यान में रखता है। कि एक वाक्‍य उस बालक के लिए बोलेगा, जिसको समझने में देर लगती है। एक वाक्‍य उसके लिए भी बोलेगा, जो तेज-तर्रार समझ लेता है।
hope it'll be helpful ; )

Anonymous: okk
Anonymous: thanks button par click karna bhul gayi thi
rahul7415: nothing... Yar.. ho jata hai...
rahul7415: actually I'm also going to earn new position
rahul7415: that you have already earned
rahul7415: ;)
rahul7415: "EXPERT"... Only few steps behind I'm :)
Anonymous: nice
rahul7415: :)
Anonymous: keep doing
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