Hindi, asked by pranay1448, 5 months ago


(इ) 'यक्ष प्रश्न' पाठ आपको क्यों अच्छा लगा? अपने शब्दों में लिखिए।​

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Answered by Anonymous
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Answer:

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  • यक्ष प्रश्न एक हिन्दी कहावत भी है। यह कहावत किसी ऐसी समस्या या परेशानी के सन्दर्भ में प्रयुक्त होती है जिसका अभी तक कोई समाधान नहीं निकाला गया है या समस्या जस-की-तस बनी हुई है। यक्ष प्रश्न नामक यह कहावत महाभारत में यक्ष द्वारा पाण्डवों से पूछे गए प्रश्नों से निकली। जब पाण्डव अपने वनवास के दिनों में वन-वन भटक रहे थे तब एक दिन वे लोग जल की खोज कर रहे थे। युधिष्ठिर ने सबसे पहले सहदेव को भेजा। वह एक सरोवर के निकट पहुँचा और जैसे ही जल पीने के लिए झुका उसे एक वाणी सुनाई दी। वह वाणी एक यक्ष की थी जो अपने प्रश्नों का उत्तर चाहता था। सहदेव ने वाणी को अनसुना कर पानी पी लिया और मारा गया। इसके बाद अन्य पाण्डव भाई भी आए और काल के गाल में समा गए। तब अन्त में धर्मराज युधिष्ठिर आए और यक्ष के प्रश्नों के सही-सही उत्तर दिए और अपने भाईयों को पुनः जीवित पाया।
Answered by sdarshikamah
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यक्ष प्रश्न एक हिन्दी कहावत भी है। यह कहावत किसी ऐसी समस्या या परेशानी के सन्दर्भ में प्रयुक्त होती है जिसका अभी तक कोई समाधान नहीं निकाला गया है या समस्या जस-की-तस बनी हुई है। यक्ष प्रश्न नामक यह कहावत महाभारत में यक्ष द्वारा पाण्डवों से पूछे गए प्रश्नों से निकली। जब पाण्डव अपने वनवास के दिनों में वन-वन भटक रहे थे तब एक दिन वे लोग जल की खोज कर रहे थे। युधिष्ठिर ने सबसे पहले सहदेव को भेजा। वह एक सरोवर के निकट पहुँचा और जैसे ही जल पीने के लिए झुका उसे एक वाणी सुनाई दी। वह वाणी एक यक्ष की थी जो अपने प्रश्नों का उत्तर चाहता था। सहदेव ने वाणी को अनसुना कर पानी पी लिया और मारा गया। इसके बाद अन्य पाण्डव भाई भी आए और काल के गाल में समा गए। तब अन्त में धर्मराज युधिष्ठिर आए और यक्ष के प्रश्नों के सही-सही उत्तर दिए और अपने भाईयों को पुनः जीवित पाया।[1]

इसलिए आधुनिक युग में भी जब कोई समस्या होती है और उसका किसी के पास समाधान नहीं होता तो उसे यक्ष-प्रश्न की संज्ञा दी जाती है।

यक्ष का अन्तिम प्रश्नों में से एक था:

दिने दिने हि भूतनि प्रविशन्ति यमालयम्।शेषास्थावरमिच्छन्ति किमाश्चर्यमतः परम्।।

(अर्थ : प्रतिदिन ही प्राणी यम के घर में प्रवेश करते हैं, शेष प्राणी अनन्त काल तक यहाँ रहने की इच्छा करते हैं। क्या इससे बड़ा कोई आश्चर्य है?)

जिनमें से एक (किमाश्चर्यम्) के उत्तर में युधिष्ठिर ने कहा :

अहन्यहनि भूतानि गच्छन्तीह यमालयम्।शेषाः स्थावरमिच्छन्ति किमाश्चर्यमतः परम् ॥

(अर्थ : प्रतिदिन ही प्राणी यम के घर में प्रवेश करते हैं, शेष प्राणी अनन्त काल तक यहाँ रहने की इच्छा करते हैं। इससे बड़ा और क्या आश्चर्य हो सकता है!

Explanation:

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