iam
(C) पद्धति
(D) अवधारणा
6. किसने कहा कि "सभी सिद्धांत तथ्यों से परे जाते हैं उनसे आगे निकल जाते हैं परन्तु सभी कथन जो सिद्धांतो से आगे निकल
जाते हैं वे सिद्धांत नहीं हैं"
(A) लूमिस
(B) मर्टन
(C) कोहन
(D) पार्सस
7.
एक ऐसी घटना जो वास्तव में घटित हुई हो तथा जिसका अवलोकन करना एवं अनुभव करना सम्भव हो उसे क्या कहा
(A) तथ्य
(B) सिद्धांत
(C) पद्धति
(D) अवधारणा
Answers
Answer:
6. गणितीय तर्क शक्ति का विकास करना : गणितीय प्रमाण
यह इकाई किस बारे में है
गणितीय प्रमाण को अक्सर गणित का एक महत्वपूर्ण आधार माना जाता है। व्यावसायिक गणितज्ञ विकासशील अनुमान लगाते हैं फिर उसपर कार्य करते हैं कि क्या वे अनुमान सभी स्थितियों में लागू होते हैं, कुछ स्थितियों में लागू हैं या किसी भी स्थिति में लागू नहीं हैं। इसपर वे बहुत समय बिताते हैं। प्रमाण और औचित्य परिशुद्ध होने चाहिए और ज्ञात गणितीय तथ्यों और गुणो पर आधारित होने चाहिए। प्रमाणित करने की यह प्रक्रिया गणित की समझ और ज्ञान की जाँच के बीच की जाती है, और गणितीय विचारों और अवधारणाओं के बीच संबंध स्थापित किए जाते हैं।
गणित की समझ विकसित करने के लिए कक्षाओं में प्रमाणित करने की प्रक्रिया भी एक अच्छी गतिविधि हो सकती है। इससे विद्यार्थी गतिविधियों में व्यस्त रहते हैं और यह वास्तविक गणितज्ञों के द्वारा की गयी गतिविधि है। परन्तु विद्यालयों में अक्सर विद्यार्थी यह समझते हैं कि गणित में प्रमाणित करने की प्रक्रिया को रटकर याद किया जाता और सीखा जाता है। यह विधि केवल इस बात पर जोर देती है कि गणित तथ्यों और प्रक्रियाओं को कंठस्थ करने के बारे मे है, जबकि प्रमाण की अवधारणा का उद्देश्य अक्सर स्पष्ट नहीं किया जाता।
इस इकाई में आप गणितीय प्रमाण के बारे में तथा इस बारे में सोचेंगे कि किस प्रकार इसका उपयोग अपने विद्यार्थियों की गणितीय समझ को और बेहतर बनाने में किया जा सकता है। आप सीखेंगे कि अपने विद्यार्थियों को मौखिक विवेक बोध में और बेहतर बनने में मदद कैसे करें और वे चर्चाओं से प्रभावी रूप से कैसे सीख सकते हैं।
आप इस इकाई में क्या सीख सकते हैं
विद्यार्थियों को किस प्रकार अपनी सोच प्रक्रियाओं को वर्णित करने और स्पष्ट करने के लिए सक्षम करें।
बातचीत के माध्यम से विद्यार्थियों का शिक्षण किस प्रकार सुगम बनाएँ।
प्रमाण शिक्षण में उपलब्धि के विभिन्न स्तरों के समाधान के लिए कुछ सुझाव।
इस इकाई का संबंध संसाधन 1 में दी गई एनसीएफ–2005 (NCF 2005) और एनसीएफटीई (2009) शिक्षण आवश्यकताओं से है।
1 विद्यालयों में गणितीय प्रमाण क्यों सिखाए जाएँ?
दुनियाभर में इस प्रकार की कई चर्चाएँ हो रही हैं कि क्या गणितीय प्रमाण विद्यालय की पाठ्यचर्या का भाग होना चाहिए। अध्यापकों को अक्सर प्रमाण पढ़ाने में कठिनाई होती है और विद्यार्थियों को अक्सर सीखने में परेशानी होती है। यह भी हमेशा स्पष्ट नहीं होता कि प्रमाण पर काम करने से किस प्रकार की गणितीय शिक्षा प्राप्त होती है। कुछ देशों में गणितीय प्रमाण की शिक्षा पूरी तरह से बंद ही कर दी गई है, यद्यपि अन्य देश इसे गणित में विवेक बोध के रूप में देखते हैं। भारत में, गणितीय प्रमाण अभी भी विद्यालय की पाठ्यचर्या का भाग है और कक्षा 9 और 10 की पाठ्यपुस्तकों के कई अध्यायों में गणितीय प्रमाण शामिल होते हैं।
विद्यालयों में गणितीय प्रमाण पर काम करने से मिलने वाली गणितीय सोच से जुड़ी कई सकारात्मक बातें हैं। शोधकर्ता बताते हैं कि गणितीय प्रमाण पर काम करने से कई तरह के गणितीय शिक्षण अवसर प्राप्त होते हैं। हन्ना (2000) ने इसका सारांश ऐसे बतायाः
किसी कथन की सत्यता का सत्यापन
यह सत्य क्यों है, इस बात का वर्णन करके व्याख्या
विभिन्न परिणामों को सूक्तियों, मुख्य अवधारणाओं और प्रमेयों की किसी निगमनात्मक प्रणाली में व्यवस्थित करके व्यवस्थापन
नए परिणामों की खोज या आविष्कार
गणितीय ज्ञान प्रसारित करने के लिए संचार
किसी प्रयोगाश्रित सिद्धात का निर्माण
किसी परिभाषा का मतलब या किसी मान्यता के परिणामों की खोज
सुविज्ञात तथ्यों का नई रूपरेखा में समावेशन और इस प्रकार इसे किसी एकदम नए नजरिए से देखना।
यह इकाई इस बात की खोजबीन करेगी और सुझाव देगी कि गणितीय प्रमाण की प्रक्रिया का उपयोग किस प्रकार उपर्युक्त जैसे शिक्षण अवसरों पर काम करके विद्यार्थियों में गणित की समझ बढ़ाने के उपकरण के रूप में किया जा सकता है।
7.
सारी विज्ञान संबंधी पूछताछ अवलोकन के कौशल से शुरू होती है। अवलोकन वैज्ञानिक पद्धति का एक बुनियादी हिस्सा है। यह विश्लेषण करने, व्याख्या करने और निष्कर्ष निकालने में शामिल होता है।
इस इकाई में उन तरीकों के बारे में बताया गया है जो विद्यार्थियों को ज्यादा सावधानी और व्यवस्थित तरीके से अवलोकन करने में मदद करते हैं ताकि वे उभरते हुए पैटर्न (pattern) को देख सकें। इस इकाई का संदर्भ छायाएं और रात व दिन हैं। यह एक ऐसा विषय है जिसके बारे में विद्यार्थियों ने स्कूल में आने से पहले अपने विचार बना लिए होंगे। विद्यार्थी दिन और रात के बारे में जानते होंगे, आकाश को देखते होंगे और परछाइयाँ भी देखते होंगे। यह इकाई इस बात का परीक्षण करती है कि आप शिक्षक के रूप में, विद्यार्थियों के पूर्व ज्ञान से जोड़ते हुए, इस विषय पर उनकी समझ कैसे विकसित कर सकते हैं?
सुरक्षा संबंधी चेतावनी!
विद्यार्थियों को यह हिदायत अवश्य दी जानी चाहिए कि वे सूरज की ओर सीधे या किसी आईने के माध्यम से न देखें। धूप का चश्मा पहने होने पर भी सूरज की रोशनी उनकी आंखों को नुकसान पहुंचा सकती हैं।
विद्यार्थियों को कक्षा के बाहर के संभावित खतरों के बारे में पता होना और उन्हें कभी भी बिजली के उपकरण, टेलीफोनों या संचार उपकरणों की जांच–पड़ताल नहीं करनी चाहिए या ऐसे स्थानों पर खेलना या काम नहीं करना चाहिए जहां मशीनें या वाहन चल रहे हों।