Iekh swasthya par Hindi mein 1 page
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स्वास्थ्य को सबसे बड़ा धन कहा गया है । यदि रुपया-पैसा हाथ से निकल जाए तो उसे पुन: प्राप्त किया जा सकता है । परंतु एक बार स्वास्थ्य बिगड़ जाए तो उसे पुरानी स्थिति में लाना बहुत कठिन होता है । इसीलिए समझदार लोग अपने स्वास्थ्य की हिफाजत मनोयोगपूर्वक करते हैं ।
अच्छा स्वास्थ्य जीवन के समस्त सुखों का आधार है । धन से वस्तुएँ खरीदी जा सकती हैं परंतु उनका उपभोग अच्छे स्वास्थ्य पर निर्भर करता है । धनी व्यक्ति यदि अस्वस्थ है तो उसके धन का कोई मूल्य नहीं । गरीब यदि स्वस्थ है तो फिक्र को कोई बात नहीं क्योंकि उसके पास स्वास्थ्य रूपी धन है । उसके पास जो कुछ भी है वह उसका उचित उपभोग कर सकता है । अच्छे स्वास्थ्य में एक तरह का सौन्दर्य होता है । जो अच्छे स्वास्थ्य से युक्त है उसके मन में उत्साह और उमंग होता है । वह अपना कार्य चिंतामुक्त होकर करता है । वह कठिनाइयों से नहीं घबराता हर समय उत्फुल्ल रहता है । उसका खाया-पीया शरीर में लग जाता है उसे दुर्बलता और थकान नहीं आती । दूसरी तरफ बिगड़े हुए स्वास्थ्य वाला व्यक्ति हर समय उदास दु: खी और विचलित रहता है ।
अत : प्रत्येक व्यक्ति का कर्त्तव्य है कि वह स्वास्थ्यप्रद जीवनशैली अपनाए और अपने तन को स्वस्थ और मन को आनंदित रखे ।
अच्छे स्वास्थ्य की कामना करनेवाले बहुत हैं परंतु उसके लिए जागरूक होकर प्रयत्न करने वाले थोड़े ही हैं । लेकिन केवल कल्पना करने से स्वास्थ्य को बनाए नहीं रखा जा सकता । इसके लिए सतत् चेष्टा करनी पड़ती है । अच्छा एवं संतुलित आहार नियमित दिनचर्या और नियमित व्यायाम स्वास्थ्य को बनाए रखने कं तीन मूलभूत तत्व हैं । भोजन में फल, अनाज, सब्जी और दूध का समन्वय होना चाहिए । फल, हरी ताजी सब्जियाँ, अंकुरित अनाज तथा दूध की कुछ-न-कुछ मात्रा प्रतिदिन लेने से व्यक्ति का स्वास्थ्य अच्छा बना रहता है । साथ ही बासी, बाजारू ,अधिक तला- भुना और मैदे की अधिक मात्रा वाला भोजन मानव-स्वास्थ्य के प्रतिकूल होता है । आजकल बच्चे एवं युवा फास्ट फूड की तरफ आकर्षित हो रहे हैं । यह आकर्षण असमय ही अनेक प्रकार की बीमारियों एवं मोटापे को आमंत्रित करता है ।
स्वास्थ्य को बनाए रखने में नियमित दिनचर्या का बहुत महत्त्व है । यह व्यक्ति को तनाव से दूर रखता है । चूंकि शरीर एक मशीन की भांति कार्य करता है इसलिए यह नियमितता चाहता है । यह चाहता है कि इसके साथ किसी प्रकार की अति न की जाय । इसलिए प्रत्येक व्यक्ति को एक नियमित दिनचर्या बनानी चाहिए और उसका पालन भी करना चाहिए । इस दिनचर्या में शरीर और मन को तनावमुक्त रखने वाले क्रियाकलापों को उचित स्थान देना चाहिए ।
शरीर को स्वस्थ रखने के लिए नियमित व्यायाम का भी पर्याप्त महत्त्व होता है । व्यायाम शरीर के सभी अंगों को मजबूती प्रदान करता है तथा बीमारियों से लड़ने की शक्ति उपलब्ध कराता है । यह व्यक्ति को फुर्तीला और तनावरहित बनाता है । भारतीय स्वास्थ्य विज्ञान ‘ आयुर्वेद ‘ में शरीर को स्वस्थ रखने में योगासनों और अन्य उपायों की विशद चर्चा की गई है । आयुर्वेद बताता है कि मानव मौसम और ऋतु के अनुकूल किस तरह की जीवनशैली अपनाए ।