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Answer:
“यदि मैं पक्षी होता”
Explanation:
“यदि मैं पक्षी होता”
मै घर के बगीचे में बैठा हुआ था | शाम का समय था | आकाश पर काले काले बादल छाए हुए थे | उमड़ते घुमड़ते बादलो के बीच से लम्बी कतार में पक्षी उड़ रहे थे | आकाश में सजी ये वन्दनवार देखकर कवि कालिदास के मेघदूत की वे पंक्तिया स्मरण हो आयी , जहां उन्होंने इन बादलो एवं पक्षियों के रूप पर मुग्ध होकर अनेक श्लोक रच डाले थे | तभी मेरे मन में विचार आया “यदि मैं पक्षी होता” |
यदि मै पक्षी होता तो स्वतंत्रतापूर्वक अपना जीवन यापन करता | धरती का हर कोना , आकाश की समस्त दूरियाँ और क्षितिज सब मेरे होते | मै सुबह से शाम यत्र तत्र भ्रमण करता | हरे-भरे पहाड़ो पर यात्रा करता ,ऊँचे ऊँचे वृक्षों पर अपने घोंसले बनाता , बहते हुए झरनों , कल-कल करती नदियों का जल पीता | प्रकृति की उस सुन्दरता का आनन्द लेता जिसका दर्शन भी मनुष्य नही कर पाया है या जहां उसका हस्तक्षेप नही हुआ है |पहाडी क्षेत्रो के स्वच्छ वातावरण में निवास करते हुए मै निवास करते हुए मै अपना जीवन सुखपूर्वक बिताता | उड़ते-उड़ते चाहे मै कितना ही क्यों न थक जाता , पर मै सदा अपने पंख पसार यहाँ वहां उड़ता रहता | गहरी खाइयो को पार करके कल-कल करती बलखाती नदियों के शीतल जल में स्नान करने का सुख ही अद्भुत है | शीतल जल में डुबकी लगाकर मै पंख फडफड़ाकर उड़ जाता |
यदि मैं पक्षी होता तो अन्य पक्षियों के साथ मिल जुलकर जीवन यापन करता | मनुष्य आज मनुष्य के ही विनाश के साधन बटोर रहा है | व्यक्ति ही व्यक्ति के दुःख दर्द में कान नही आते , पर यदि मै पक्षी होता तो मेरी एक आवाज पर मेरे कितने ही साथी जमा हो जाते | उनके एकत्र होने का विचार ही मुझे मानसिक आह्लाद प्रदान करता है | अपने साथियों के साथ पेड़ो की डालो पर खेलने का आनन्द ही निराला होता | हम साथ साथ अपनी पसंद के वृक्षों पर घोंसले बनाते |
पक्षियों के सुंदर सुंदर घोसले मुझे सदा ही भाते रहे है | मै बयाँ पक्षी की तरह एक कलापूर्ण सुंदर घोंसला बनता | एक-एक घास का चुना हुआ तिनका अपनी नुकीली चोंच से इस प्रकार बुनता कि देखने वाले इस बारीकी को देखते ही रह जाते | पेड़ो पर लम्बे लटकते बया के घोसले मुझे सदैव आकर्षित करते रहे है | बस एक ऐसा ही कोई क्क्ष्व वाला घोंसला मै भी तैयार करता |मेरा रंग-रूप देखकर बच्चे कितना खुश होते है | मैंने रंग बिरंगे पक्षी देखे है | कई रंगो से सजे उनके पंख , भिन्न भिन्न एंग एवं आकार की उनकी चोंच कितनी सुंदर लगती है | लाल-पीले , हरे रंग के तोते , रंग-बिरंगे सुंदर मोर , सफेद मोर , तरह तरह की चिड़िया किसे अच्छी नही लगती ? मै इ अनोखा पक्षी बनने की कामना रखता हु | मेरी अभिलाषा सदा ऐसा बनने की होती है कि लोग मेरे रंग,रूप , चाल ,स्वभाव की उपमाये दे | मुझमे अनेक पक्षियों के गुण होते | मै मोर सा सुंदर , चील के सदृश्य फुर्तीला , कोयल सा सुरीला गानेवाला और हंस सा विवेकी होता | सच में मेरा ऐसा रंग ,रूप एवं स्वभाव गर्व के कारण होता |
यदि मैं पक्षी होता तो सूर्योदय से पूर्व ही उठ जाता | कभी कालिंदी के तट पर वास करता , कभी समुद्रतटीय प्रदेशो में चला जाता | मै भी प्रवासी पक्षियों की भांति हजारो किलोमीटर की यात्रा करता और प्रकृति के विभिन्न नजारों का आनन्द लेता | सुबह-सुबह उठकर सब आलसी बच्चो को जगाता | पक्षियों का प्रात:कालीन कलरव मुझे बहुत भाता है | यदि मै पक्षी होता तो इस कलरव की वृद्धि में सतत जुटा रहता |
यदि मैं पक्षी होता तो स्वावलम्बी होता | अपना दाना जुटाने के लिए दिन-रात परिश्रम करता | कभी भी मनुष्य की तरह दुसरो का अधिकार नही छीनता | सदा अपनी मेहनत से जो मिलता , उसे पाकर खुशी से जीवन बिताता | मनुष्य जीवन में कभी भी संतोष नही है | यदि मै पक्षी होता तो जितनी मेरी निजी आवश्यकता है उतना ही पाने का यत्न करता | ऐसा अनुभव करते हुए कबीर के दोहे का स्मरण आता है कि पक्षी को जितना चाहिए उतना ही खाता है परन्तु जिस मनुष्य को कल तक जीने का भरोसा नही वह कल के लिए बटोरने में सदा व्यस्त रहता है |
यदि मैं पक्षी होता तो प्रकृति का मित्र बना रहता शत्रु नही | मनुष्य का सम्पूर्ण जीवन प्रकृति पर आश्रित है किन्तु वह अपनी आश्रयदाता प्रकृति को सदा हानि पहुचाने की दिशा में प्रयत्नशील है | पक्षी सदा प्रकृति से मित्र ही तरह आचरण करते है | कुछ पक्षी तो मरे हुए पशुओ को खाकर वातावरण को शुद्ध रखते है | कुछ पक्षी तरह तरह के कीड़े-मकोड़े खाकर वृक्षों , पौधों तथा फसलो की सुरक्षा करते है | मै भी अपना जीवन इसी प्रकार परमार्थ में व्यतीत करता |
यदि मैं पक्षी होता तो कभी भी पिंजरे में कैद नही रहना चाहता | इस प्रकार अक कैदी जीवन मुझे कदापि पसंद नही आता | मै प्रकृति की गोद में चाहे कितना ही दुःख सह लेता परन्तु अपने सगे-साथियों से दूर अकेले पिंजरे में कैद रहना मुझे बिलकुल नही भाता | मुझे कभी भी चिड़ियाघर के पिंजरों में कैद होना भी पसंद नही आता | चिड़ियाघर के उन छोटे छोटे पिंजड़ो में बंद ढेर सारे पक्षी अपने इच्छा से उड़ नही पाते | मै स्वतंत्र पक्षी रहना चाहता |
यदि मै पक्षी होता तो मनुष्य की तरह घरो , दफ्तरों और स्कुलो में व्यस्त जीवन नही बिताता , जहा लोगो को अपने विषय में सोचने की फुर्सत नही जहां व्यक्ति प्रकृति की रमणीयता का आनन्द नही ले सकता | यदि मै पक्षी होता तो मेरा जन्म प्रकृति की गोद में होता , कोमल किसलय मुझे स्नेहपूर्वक चूम लेते , डालियों की निर्मल छाया में सदा मै डोलता | ऐसे सुरम्य जीवन की कल्पना मात्र ही मुझे रोमाचित कर देती है | न कोई चिंता , न द्वेष , बस प्रकृति और मै | काश मै पक्षी होता और स्वछन्द , उन्मुक्त , बंधनरहित , आंकाषारहित जीवन यापन करता |