इफ़्फ़न और टोपी शुक्ला की मित्रता पर टिप्पणी करते हुए लिखिए कि ऐसी मैत्री भारतीय समाज के लिए कैसे प्रेरक हो सकती है ।
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- धर्म , भाषा , परिवारिक वातावरण, रहन सहन ,खानपान आदि पूर्णता भिन्न होते हुए भी दोनों गहरे मित्र थे ।
- दोनों का जुड़ाव मन से था , आंतरिक था बाहय नही
- टोपी इफ़्फ़न के घर के खाने को छूता भी नही था फिर भी उनकी मित्रता मे कोई अंतर नही आया
- दोनों एक दूसरे की भावनाओं को समझते थे और परस्पर उनका सम्मान करते थे
- घर में मम्मी शब्द कहने पर टोपी ने मार खाई परंतु इफ़्फ़न के घर न जाने के लिए नही माना
प्रेरणा
- निस्वार्थ प्रेम और मित्रता की
- सांप्रदायिक सौहार्द बनाए रखने की
- सहिष्णुता बढ़ाने की
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Answer:
इफ्फन और टोपी शुक्ला अलग-अलग मजहब के थे। इसके बावजूद दोनों पक्के दोस्त थे। उनकी दोस्ती के बीच में मजहब की दीवार नहीं आ पाई। दोनों प्रेम के अटूट बंधन में बंधे थे। इफ्फन के बिना टोपी अधूरा सा था। जब इफ्फन के पिता का तबादला हुआ तो टोपी बिल्कुल अकेला रह गया था। इसके बाद वो कभी कोई मित्र नहीं बना पाया। आज के समय में ऐसी निस्वार्थ दोस्ती कम ही देखने को मिलती है। अगर ऐसी दोस्ती इस जमाने में हो जाए तो इंसान का जीवन ही बदल जाए। इस स्वार्थी दुनिया में सच्चा दोस्त मिलना बहुत मुश्किल है। वर्तमान समय में ऐसे ही सच्चे और अच्छे लोगों को देश की जरूरत है।
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