Hindi, asked by kureeljayprakash, 6 months ago

इहि औसरि चेत्या नहीं, पसु ज्यूँ पाली देह।
राम नाम जाण्या नहीं, अंति पड़ी मुख ह।। ​

Answers

Answered by shreyasatnami33
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Answer:

कबीरदास कहते हैं कि हे मानव! इस मानव-जीवन रूपी सुन्दर अवसर को पाकर भी यदि तूने परमार्थ के विषय में नहीं सोचा और पशुओं के समान केवल देह को पालने में लगा रहा और राम-नाम के महत्व को नहीं पहचाना तो अन्त में तुझे नष्ट होकर मिट्टी में मिल जाना होगा।

Answered by sanjayawasthi1414
2

Explanation:

कबीरदास जी कहते हैं कि या शरीर एक अच्छे घड़े के समान है जब तक शरीर था तब तक नाम नाम नहीं था लेकिन जब मौत आई है तब मैं नाम कमा राम जपना

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