(ii) 1 कैलोरी ऊष्मा को परिभाषित करो।
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Answer:
१ ग्राम पानी का ताप १४.५° सें. से १५.५° सें. तक बढ़ाने में जितनी उष्मा की आवश्यकता होती है उसे एक कैलरी कहते हैं। अन्य ताप पर पानी की १° डिग्री तापवृद्धि के लिए इससे कुछ भिन्न मात्रा की आवश्यकता होती है, पर दोनों का अन्तर कभी भी १/२ प्रतिशत से अधिक नहीं होता।
Explanation:
ऊष्मा (heat) या ऊष्मीय ऊर्जा (heat energy), ऊर्जा का एक रूप है जो ताप के कारण होता है। ऊर्जा के अन्य रूपों की तरह ऊष्मा का भी प्रवाह होता है। किसी पदार्थ के गर्म या ठंढे होने के कारण उसमें जो ऊर्जा होती है उसे उसकी ऊष्मीय ऊर्जा कहते हैं। अन्य ऊर्जा की तरह इसका मात्रक भी जूल (Joule) होता है पर इसे कैलोरी (Calorie) में भी व्यक्त करते हैं।
एक वस्तु से दूसरी वस्तु को दी गयी ऊष्मा की मात्रा का मापन ऊष्मामिति (Clorimetry) कहलाता है। ऊष्मा मापने का मात्रक कैलोरी है। ऊष्मा के मापन का बहुत महत्व है। विशेषतया विशिष्ट ऊष्मा का सैद्धांतिक रूप से बहुत महत्व है और इसके सम्बन्ध में कई सिद्धान्त प्रचलित हैं। अन्तरित ऊष्मा की मात्रा को गणना द्वारा भी निकाला जा सकता है जो ऊष्मा के कारण वस्तु के अन्य गुणों में परिवर्तन पर अधारित है। उदाहरण के लिए, वस्तु के ताप में वृद्धि, आयतन या ल्म्बाई में परिवर्तन, प्रावस्था परिवर्तन (जैसे बर्फ का पिघलना आदि)। रुद्धोष्म कार्य की गणना करके तथा उसके साथ ऊष्मागतिकी के प्रथम नियम का उपयोग करते हुए भी अन्तरित ऊष्मा की गणना की जा सकती है।