(ii) आलसी मनुष्य अपना दुश्मन तो होता ही है,
समाज का भी दुश्मन होता है। वह समस्त
समाज की घृणा का पात्र होता है। आलसी भी
चाहता है कि वह अन्य नागरिकों की भाँति
परिश्रम करे, परंतु आलस्य तो पहले ही उसकी
शारीरिक, मानसिक तथा आत्मिक शक्ति का
पूर्ण रूप से शोषण कर चुका होता है। आलस
समाज-विरोधी तत्वों; जैसे-चोर, डाकू, जुआरी,
शराबियों की भाँति राष्ट्र को खोखला बनाता
रहता है। कर्मवीर मनुष्य का जीवन अत्यंत
सफल रहता है। उसे जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में
सफलता प्राप्त होती है। संसार की सुख-संपत्ति,
वैभव-समृद्धि स्वयं ही कर्मठ मनुष्य के पास
चली आती है।
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