Hindi, asked by khaskhedasumit, 2 days ago

ii. चौके के गीले होने का भावार्थ है-​

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Answered by shishir303
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चौके गीले होने का तात्पर्य यह है कि सुबह के समय जब आकाश चारों तरफ धुंध छाई होने के कारण मटमैला व नमी-नमी भरा पवित्र सा दिखाई देता है।

‘ऊषा’ कविता में कवि शमशेर बहादुर सिंह कहा है कि भोर के समय के जो जब चारों तरफ धुंध छायी होती है, और सूरज का प्रकाश पूरी तरह से फैला नही होता तो आकाश बिल्कुल ऐसा दिखायी देता है, जैसे राख से लिखा हुआ चौका हो। गाँव के घरों में सुबह-सुबह राख से लीपा हुआ चौका जिस तरह से मटमैला और पवित्र दिखायी देता है, उसी तरह आकाश दिखायी दे रहा है।

लेखक ने भोर के समय काल का वर्णन करके आकाश की उपमा चूल्हे से की है।

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Answered by sarwakuhee
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Answer:चोके के गीले होने का भावथ् है

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