ई.एस.आर. का रोग निदान में महत्त्व स्पष्ट कीजिए।
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ESR का मान सामान्य से अधिक होता है तो यह शरीर में किसी असामान्यता अर्थात् रोग का संकेत देता है। कई प्रकार के जीर्ण रोग अवस्थाओं जैसे तपेदिक तथा प्रदाह क्रिया रोगों जैसे ट्यूमेटॉइड, आइटिस, मल्टीपल माइलोमा, अर्बुद, लसीकाभ अर्बुद आदि में ESR का मान बढ़ जाता है। इसके अतिरिक्त ESR का मान गर्भकाल, रक्ताल्पता तथा आयु बढ़ने के साथ भी बढ़ता है।
आजकल ऑटोमेटेड मिनी ESR विधि द्वारा जाँच की जाती है। जो शरीर के विभिन्न अंगों के कार्य तथा जैव रासायनिक व कार्यिकी अवस्था के बारे में निदान हेतु उपयोगी है।
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