Hindi, asked by durgeshdeshmukh9114, 8 months ago

(ii) जगनिक कवि का आल्हा खण्डजागन का विवाह आल्हा खंड ​

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Answered by sciencesubject7179
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Explanation:

जगनिक कालिंजर के चन्देल राजा परमार्दिदेव (परमाल ११६५-१२०३ई.) के समकालीन भट्ट राव कुल में जन्मे कवि थे इनका पूरा नाम जगनिक राव था । इन्होने परमाल के सामंत और सहायक महोबा के आल्हा-ऊदल को नायक मानकर आल्हखण्ड नामक ग्रंथ की रचना की जिसे लोक में 'आल्हा' नाम से प्रसिध्दि मिली। इसे जनता ने इतना अपनाया और उत्तर भारत में इसका इतना प्रचार हुआ। परन्तु इसके बाद भी मूल काव्य संभवत: लुप्त हो गया। विभिन्न बोलियों में इसके भिन्न-भिन्न स्वरूप मिलते हैं। अनुमान है कि मूलग्रंथ बहुत बड़ा रहा होगा। १८६५ ई. में फर्रूखाबाद के कलक्टर सर चार्ल्स इलियट ने 'आल्ह खण्ड' नाम से इसका संग्रह कराया जिसमें कन्नौजी भाषा की बहुलता है। आल्ह खण्ड जन समूह की निधि है। रचना काल से लेकर आज तक इसने भारतीयों के हृदय में साहस और त्याग का मंत्र फूँका है।

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