Hindi, asked by shraddhaprajapati06, 8 hours ago

(ii) काँकर पाथर जोरि कै, मसजिद लई बनाय।
ता चढ़ि मुल्ला बाँग दे, क्या बहरा हुआ खुदाय।।उपयुक्त पंक्तियों में निहित व्यंग स्पष्ट कीजिए ​

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Answered by pandeydevannshi
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Answer:

भावार्थ:

कबीर दास जी कहते है कि कंकर पत्थर से बनी मस्जिद में मुल्ला जोर जोर से अजान देता है। कबीर दास जी कहते है कि क्या खुदा बहरा है

उपयुक्त पंक्तियों में निहित व्यंग यह है कबीर खुदा को बहरा नहीं कह रहे

वो तो बार-बार आवाज़ लगाने को शायद ठीक नहीं समझते।

कबीर दास जी जैसा ब्रह्म को जानने वाला कभी खुदा को बहरा नहीं कह सकते है। ) “का बहरा भया खुद आय”(यह लोग खुद क्यों नही आते नमाज़ पढने (खुद- आय)?) उनका कहने का अर्थ संभवतः यह होगा मन में तडप होनी चाहिये इबादत के लिये।

बार-बार बांग लगा के इबादत के लिये बुलाना शायद कबीर जी को ठीक नहीं लगा होगा।

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