ई-कचरा के विषय पर 80-100 शब्दों में अनुच्छेद लिखिए।
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ई-कचरा
ई-कचरा आधुनिक समय की एक गंभीर समस्या है। वर्तमान समय में विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में काफ़ी काम हो रहा है। इसके फलस्वरूप, आज नित नए-नए उन्नत तकनीक वाले इलेक्ट्रॉनिक यंत्रों का उत्पादन हो रहा है। जैसे ही बाज़ार में उन्नत तकनीक वाला उत्पाद आता है, वैसे ही पुराने यंत्र बेकार पड़ जाते हैं। इसी का नतीजा है कि आज कंप्यूटर, लैपटॉप, मोबाइल फोन, टीवी, रेडियो, प्रिंटर, आई-पोड्स आदि के रूप में ई-कचरा बढ़ता जा रहा है। एक अनुमान के अनुसार एक वर्ष में पूरे विश्व में लगभग 50 मिलियन टन ई-कचरा उत्पन्न होता है। यह अत्यंत चिंता का विषय है कि ई-कचरे का निपटान उस दर से नहीं हो पा रहा है, जितनी तेज़ी से यह पैदा हो रहा है। ई-कचरे को डालने या खुले में जलाने से पर्यावरण के लिए गंभीर समस्याएँ उत्पन्न हो गई हैं, क्योंकि इलेक्ट्रॉनिक यंत्रों में आर्सेनिक, कोबाल्ट, मरकरी, बेरियम, लिथियम, कॉपर, क्रोम, लेड आदि हानिकारक अवयव होते हैं। इनसे कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों का खतरा कई गुना बढ़ गया है।
अब समय आ गया है कि ई-कचरे के उचित निपटान और पुनः चक्रण पर ध्यान दिया जाए अन्यथा पूरी दुनिया शीघ्र ही ई-कचरे का ढेर बन जाएगी। इसके लिए विकसित देशों को आगे आना होगा और विकासशील देशों के साथ अपनी तकनीकों को साझा करना होगा, क्योंकि विकसित देशों में ही ई-कचरे का उत्पादन अधिक होता है और वे जब-तब चोरी-छिपे विकासशील देशों में उसे भेजते रहते हैं। इस समस्या से निपटने के लिए पूरी दुनिया को एक होना होगा।
ई-कचरा के विषय पर 80-100 शब्दों में अनुच्छेद :
ई-कचरा अर्थात इलेक्ट्रॉनिक कचरा |
व्याख्या :
आजकल के दौर में यह एक बहुत ही चिन्ता का विषय है | सम्पूर्ण विश्व में हर साल लाखों टन ई-कचरा उत्पन हो रहा है | जिसका मुख्य कारण मोबाइल , लैपटॉप इत्यादि उपकरणों का ज्यादा से ज्यादा उपयोग व टेक्नोलॉजी में तेज़ी से परिवर्तन हैं | सरकारें इसको कम करने के कई प्रयास कर रही हैं | इसी वजह से मूल उपकरण निर्माताओं पर कई तरह के प्रतिबंध लगाये गए हैं | उनको पुराने उपकरणों को वापिस खरीदना अनिवार्य कर दिया गया है व 70% पुराने उपकरण वापिस आने पर ही नए उपकरणों का निर्माण किया जाएगा |