Business Studies, asked by prachigujjar473, 6 months ago

ii. पहाड़ों पर चढ़ाई के दौरान क्या-क्या परेशानियाँ हो सकती हैं? लिखो​

Answers

Answered by ys5910743
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Answer:

पर्वतारोहण में कई बार खतरे को दो श्रेणियों में विभाजित किया जाता हैं: वस्तुगत खतरे जो पर्वतारोही के उपस्थित न होने पर भी उपस्थित होते हैं, जैसे चट्टानों का गिरना, हिमस्खलन और ख़राब मौसम और व्यक्तिपरक खतरे जो पर्वतारोही द्वारा शुरू कारकों से ही संबंधित होते हैं। असावधानी के कारण उपकरण की खराबी और टूटना, थकान एवं अपर्याप्त तकनीक व्यक्तिपरक खतरे के उदहारण हैं। तूफानों और हिमस्खलन के कारण निरंतर परिवर्तित होने वाले रास्ते को वस्तुगत खतरे का उच्च स्तर माना जाता है, जबकि तकनीकी रूप से ज्यादा कठिन रास्ता जो इन खतरों से अपेक्षाकृत सुरक्षित होता है उसे वस्तुगत रूप से सुरक्षित माना जा सकता है।

संक्षेप में, पर्वतारोहियों को इन खतरों का ध्यान रखना चाहिए: गिरती चट्टानें, गिरती बर्फ, हिमस्खलन, पर्वतारोही का गिरना, बर्फीली ढलानों से गिरना, बर्फीली ढलानों का गिरना, बर्फीली दरारों में गिरना और ऊँचाई तथा मौसम के खतरे.[3] इन खतरों को कम करने के लिए अपने कौशल और अनुभव का प्रयोग करके एक रास्ते का चयन और अनुसरण करने में ही पर्वतारोही के कौशल की परीक्षा होती है।

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