ई रिक्शा हमसफर या सर दर्द पर अनुच्छेद लिखिए
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लास्ट माइल कनेक्टिविटी मिली : खासतौर पर मेट्रो स्टेशनों के आसपास के इलाकों में रहने वाले लोगों को स्टेशन तक पहुंचने में काफी आसानी होने लगी। जिन इलाकों में फीडर बसें नहीं हैं या कंजस्टेड इलाकों में इनसे खूब कनेक्टिविटी मिली।
साइकल रिक्शा से सस्ता ऑप्शन : जिस दूरी के लिए साइकल रिक्शा 30-40 रुपये लेता है उसी दूरी के लिए चलने वाले ई-रिक्शा में 10 रुपये लेते हैं। हालांकि कुछ देर दूसरी सवारी बैठाने के लिए इंतजार करना पड़ता है।
एनवायरमेंट को फायदा : दिल्ली में 1 लाख से ज्यादा ई-रिक्शे चलने का दावा किया जाता है। मेट्रो और ईएमयू के अलावा दिल्ली का कोई भी दूसरा पब्लिक या पर्सनल ट्रांसपोर्ट इतना क्लीन नहीं है। ई-रिक्शा ने कन्वेंशनल फ्यूल और सीएनजी को रिप्लेस किया।
बड़ी संख्या में रोजगार मिला : आज 1 लाख से ज्यादा परिवारों की रोजी रोटी ई रिक्शा पर ही निर्भर है। 60 हजार से 1 लाख रुपये की बीच मिलने वाले इन ई-रिक्शों को खरीदकर या फाइनैंस कराकर बड़ी तादाद में दिल्ली के बेरोजगार काम पर लग गए। दावा यह भी किया जाता है कि ई रिक्शा के चलने के बाद बेरोजगारी कम होने से क्राइम में भी कमी आई।
दिल्ली का इमेज मेकओवर : मजबूरी में इंसानों के रिक्शा खींचने को कहीं से भी सही नहीं कहा जा सकता। रिक्शा खींचते इंसानों की तस्वीर दिल्ली जैसे शहर के ग्लोबल इमेज के लिए ठीक नहीं है। ई-रिक्शा इस इमेज को बदलने में योगदान दे सकता है।