ii)
राम नाम मणि दीप धरु, जीह देहरी द्वार।
तुलसी भीतर बाहिरेहुँ जो चाहसि उजियार।।
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- ras kya hai
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राम नाम मणि दीप धरु, जीह देहरी द्वार।
तुलसी भीतर बाहिरेहुँ जो चाहसि उजियार।।
रस क्या है?
इन पंक्तियों में 'भक्ति रस' है।
व्याख्या :
इन पंक्तियों में भक्ति रस है, क्योंकि इन पंक्तियों के माध्यम से कवि तुलसीदास अपने आराध्य प्रभु श्रीराम के प्रति भक्ति भावना प्रकट कर रहे हैं।
भक्ति रस उस काव्य में प्रकट होता है। जहाँ पर अपने ईश्वर या आराध्य देव के प्रति भक्ति भावना प्रकट की जाती है। अपने आराध्य के प्रति प्रेम प्रकट करना ही भक्ति रस है।
भक्ति रस का स्थाई भाव अपने इष्ट के प्रति प्रेम है।
किसी काव्य को पढ़कर जिस तरह के आनंद की अनुभूति होती है, काव्य की भाषा में उसे ही 'रस' कहा जाता है।
रस नौ प्रकार के होते हैं।
#SPJ3
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Answer:
दिए गए दोहे में भक्ति रस का भाव है।
Explanation:
- इन पंक्तियों के माध्यम से श्री तुलसीदास प्रभु श्री राम के प्रति अपनी भक्ति व्यक्त कर रहे है।
- कुल 9 प्रकार के रस होते है उनमें से भक्ति रस का प्रयोग अपने आराध्य के प्रति अपनी अप्रतिम भक्ति, प्रेम और आदर प्रकट करने के लिए किया जाता हैं।
- दिए गए दोहे का अर्थ: तुलसीदास कहते हैं, यदि तुम भीतर और बाहर दोनों ओर उजाला चाहते हो, तो मुख रूपी द्वार की जीभ रूपी देहली पर रामनाम रूपी मणि-दीपक को रखो।
- यह दोहा तुलसीदास की प्रभु श्री राम के भक्ति से ओत-प्रोत हो रहा है।
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