Hindi, asked by rameshbrama14086, 4 months ago

(ii) रमणीयता और नित्य नूतनता किस प्रकार अन्योन्याश्रित हैं?
(iii) उपर्युक्त गद्यांश में लेखक ने किस बात पर बल दिया है?​

Answers

Answered by ngbavalgave24
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Answer:

किस चैप्टर का सवाल है

Explanation:

please बतओ

Answered by vikasbarman272
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पूरा प्रश्न : रमणीयता और नित्य नूतनता अन्योन्याश्रित हैं, रमणीयता के अभाव में कोई भी चीज मान्य नहीं होती। नित्य नूतनता किसी भी सृजक की मौलिक उपलब्धि की प्रामाणिकता सूचित करती है और उसकी अनुपस्थिति में कोई भी चीज वस्तुत: जनता व समाज के द्वारा स्वीकार्य नहीं होती। सड़ी-गली मान्यताओं से जकड़ा हुआ समाज जैसे आगे बढ़ नहीं पाता, वैसे ही पुरानी रीतियों और शैलियों की परम्परागत लीक पर चलने वाली भाषा भी जनचेतना को गति देने में प्रायः असमर्थ ही रह जाती है। भाषा समूची युगचेतना की अभिव्यक्ति का एक सशक्त माध्यम है और ऐसी सशक्तता वह तभी अर्जित कर सकती है, जब वह अपने युगानुकूल सही मुहावरों को ग्रहण कर सके।

उपर्युक्त गद्यांश को पढ़कर निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर: दीजिए।

(i)लेखक के अनुसार किसके अभाव में कोई भी वस्तु महत्त्वपूर्ण नहीं होती?

(ii) रमणीयता और नित्य नूतनता किस प्रकार अन्योन्याश्रित हैं?

(iii) उपर्युक्त गद्यांश में लेखक ने किस बात पर बल दिया है?

उत्तर : (i) लेखक के अनुसार सुंदरता के अभाव में कोई भी वस्तु महत्वपूर्ण नहीं हो सकती है l

(ii) रमणीयता और नित्य नूतनता अन्योन्याश्रित हैं, रमणीयता के अभाव में कुछ भी मान्य नहीं है। निरंतर नूतनता किसी भी रचनाकार की मूल उपलब्धि की प्रामाणिकता को दर्शाता है और इसके अभाव में जनता और समाज द्वारा वास्तव में कुछ भी स्वीकार्य नहीं है।

(iii) यह गद्यांश भाषा और आधुनिकता नामक पाठ से लिया गया है इसके लेखक प्रोफेसर सुंदर रेड्डी है l लेखक ने भाषा और आधुनिकता पर बल दिया है l लेखक के अनुसार भाषा सभी युगों की चेतना को अभिव्यक्त करने का एक सशक्त माध्यम है और कोई भी भाषा ऐसी शक्ति तभी प्राप्त कर सकती है जब वह अपने युग के अनुसार सटीक और नवीन मुहावरों को अपना सके।

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