(ii) सारे आडंबर छोड़कर सादगी का जीवन किसने और क्यों बिताया?
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उत्तर: गाँधी जी सेवा-धर्म को ही अहिंसा और सत्य की बुनियाद मानते थे। उनका कहना था कि "सेवा-धर्म का पालन किए बिना मैं अहिंसा-धर्म का पालन नहीं कर सकता और अहिंसा-धर्म का पालन किए बिना मैं सत्य की खोज नहीं कर सकता |" उन्होंने सारे आडंबर छोड़कर सादगी का जीवन बिताया क्योंकि वे समझ गए थे कि जो आनंद सादगी की जिंदगी में है वो पैसे की जिंदगी में नहीं है |
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